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________________ प्रमेयबोधिनी टीका पद २१ सू० ११ औदारिकादि शरीरवतां अल्पबहुत्वनिरूपणम् ८१७ शार्थतया अनन्तगुणानि, द्रव्यार्थप्रदेशार्थतथा सर्वस्तोकानि आहारकशरीराणि द्रव्यार्थतया, वैफियशरीराणि द्रव्यार्थतया असंख्ये यगुणानि, औदारिकशरीराणि द्रव्यार्थतया असंख्येय. मुणानि, औदारिकशरीरेभ्यो द्रव्याथिकेभ्य आहारकशरीराणि प्रदेशार्थतया अनन्तगुणानि, वैक्रियशरीराणि प्रदेशार्थतया असंख्येयपूणानि, औदारिकशरीराणि प्रदेशार्थतया असंख्येयगुणानि तैजसकार्मणानि द्वयान्यपि तुल्यानि द्रव्यार्थतया अनन्तगुणानि, तैजसशरीराणि प्रदेशार्थतया अनन्तगुणानि, कार्मशरीराणि प्रदेशार्थतया अनन्तगुणानि, एतेषां खलु भदन्त ! सरीरा पएसट्टयाए असंखेज्जगुणा) औदारिकशरीर प्रदेशों की अपेक्षा असं. ख्यातगुणा हैं (तेयगसरीरा पएसट्टयाए अगंतगुणा) तेजसशरीर प्रदेशों की अपेक्षा अनन्तगुणा हैं (कम्मगसरीरा पएसट्टयाए अणंतगुणा) कार्मणशरीर प्रदेशों की अपेक्षा अनन्तगुणा हैं। (दव्वट्ठयएसट्टयाए) द्रव्य और प्रदेशों की अपेक्षा (सव्वत्थोवा आहारगसरीरा दव्वट्टयाए) सबसे कम आहारकशरीर द्रव्य की अपेक्षा से हैं (वेउम्विय. सरीरा व्वयाए असंखेज्जगुणा) वैक्रियशरीर द्रव्य की अपेक्षा से असंख्यातगुणा है (ओरालियसरीरा व्वट्ठयाए असंखेजगुणा) औदारिकशरीर द्रव्य की अपेक्षा से असंख्यातगुणा ओरालियसरीरेहिंतो वट्टयाएहितो आहारगसरीरा पएसट्टयाए अणंतगुणा) द्रव्य से औदारिकशरीर की अपेक्षा प्रदेश से आहारकशरीर अनन्तगुणा है (वेउव्वियसरीरा पएसट्टयाए असंखेजगुणा) वैक्रियशरीर प्रदेशों से असंख्यात गुणा है (ओरालियसगेरा पएसट्टयाए असंखेजगुणा) औदारिकशरीर प्रदेशों की अपेक्षा असंख्यातगुणा है (तेयाकम्मा दोवि तुल्ला) तेजस और कार्मण दोनों तुल्य हैं (दव्वयाए अणंतगुणा) द्रव्य से अनन्तगुणा हैं (तेय. शरीर प्रशानी अपेक्षाथी यात (ओरालियसरीरो पएसटुयाए असंखेज्जगुणा) मो४िशरी२ प्रदेशानी अपेक्षाथी मध्यात (तेयगसरीरा पएसट्टयाए अणंतगुणा) तेसशी२ प्रशानी अपेक्षाथी मनन्ता छ (कम्मगसरीरा पएसट्टयाए अणंतगुणा) . શરીર પ્રદેશોની અપેક્ષાથી અનન્તગણુ છે. - (दवट्ठपएसद्वयाए) द्रव्य भने प्रदेशाची अपेक्षाये (सव्वत्थोवा आहारगसरीरा दव्वट्ठयाए) माया माछ। २0७.२४री२ द्र०यनी अपेक्षाथी (वेउव्विसरीरा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा) वैठियशरीर द्रव्यनी अपेक्षाथी असभ्यातायाछे. ओरालियसरीरा व्वयाए असंखेज्जगुणा) मोहा२ि४२२ दयनी ५पेक्षाथी मण्यात (ओरालियसरीरेहिंतो दव्वद्वयाएहितो आहारगसरीरा पएसट्टयाए अणंतगुणा) द्रव्यथी मोहा४िशरीरनी अपेक्षा प्रशथी माहा२४शरीर नन्त छ (वेउबिसरीरा पएसट्टयाए असंखेज्जगुणां) वैठियशरीर प्रशाथी अभ्याता छ (ओरालियसरीरा पएसट्टयाए असंखेज्जगुणा) मोहारि।शरीर प्रशानी मपेक्षाये मसभ्यातआ (तेयाकम्मा दो वि तुल्ला) तेस मन भए भन्ने तुल्य छ (दव्यद्वयाए अणंतगुणा) प्र० १०३ श्री. प्रशान। सूत्र:४
SR No.006349
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1978
Total Pages841
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size58 MB
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