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________________ ૬૮ प्रज्ञापनासूत्रे शरीरं भवति ? यावत्- किंवा नागकुमार भवनवासि देवपश्चेन्द्रियवैक्रियशरीरं किंवा सुवर्णकुमारभवनवासि देवपञ्चेन्द्रियवै क्रियशरीरं किंवा अग्निकुमार भवनवासि देवपश्वेन्द्रिय वैक्रियशरीरं किंवा विद्युत्कुमारभवनवासि देवपञ्चेन्द्रियवै क्रियशरीरं किंवा उदधि कुमार भवन वसि देवपञ्चेन्द्रियवैक्रियशरीरं किंवा द्वीपकुमार भवनवासि देवपञ्चेन्द्रियवै क्रि यशरीर किंवा दिवकुमार भवनचा सिदेवपञ्चेन्द्रियक्रियशरीरं किंवा वायुकुमारभवनवासिदेवपञ्चेन्द्रियवैक्रिय शरीरं किंवा स्तनित कुमारभवनवासिदेवपञ्चेन्द्रियवैक्रियशरीरं भवति ? भगवानाह - 'गोयमा !' हे गौतम ! 'असुरकुमारजाव थणियकुमारभयणवासिदेव पंचिंदिय वे उध्वियसरीरे वि' असुरकुमार यावत् - नागकुमार सुवर्णकुमाराग्निकुमार विद्युत्कुमारो दधिकुमारद्वीपकुमारदिक् कुमार पवन कुमारस्तनितकुमार भवनवासि देवपञ्चेन्द्रियशरीरमपि भवति, गौतमः पृच्छति - 'जइ असुरकुमार देव पंचिंदिय doaसरीरे किं पज्जत्तम असुरकुमारभवणवासि देव पंचिदिय वे उब्विय सरीरे, अपज्जतगअमरकुमार भवणवा सिदेवप चिंदियवेउध्वियसरीरे ?' हे भदन्त ! यदि असुरकुमार देवपञ्चेन्द्रियहै, यावत् नागकुमार भवनवासी देव पंचेन्द्रियों का वैक्रियशरीर होता है सुवर्ण कुमार भवनवासीदेव पंचेन्द्रियों का वैक्रियशरीर होता है, अग्निकुमार भवनवासी देव पंचेन्द्रियों का वैक्रियशरीर होता है, विद्युत्कुमार भवनवासी देव पंचेन्द्रियो का वैक्रियशरोर होता है, उदधिकुमार भवनवासी देव पंचेन्द्रियों का वैकिय शरीर होता है, द्वीपकुमार भवनवासी देव पंचेन्द्रियों का वैक्रियशरीर होता है, दिक्कुमार भवनवासी देव पंचेन्द्रियों का वैक्रिय शरीर होता है, वायु कुमार भवनवासी देव पंचेन्द्रियों का वैक्रिय शरीर होता है अथवा स्तनितकुमार भवन वासी देव पंचेन्द्रियों का वैक्रियशरीर होता है ? भगवान - हे गौतम! असुरकुर, नाग कुमार, सुवर्णकुमार, अग्निकुमार, विद्युत्कुमार, उदधिकुमार, दीपकुमार, दीवकुमार, पवनकुमार और स्तनितकुमार भवनवासी देव पंचेन्द्रियों का वैक्रिय शरीर होता है। દેવ પંચેન્દ્રિયાના વક્રિયશરીર હાય છે, સુકુમાર ભવનવાસી દેવ પચેન્દ્રિયાના વૈક્રિયશરીર હોય છે, અગ્નિકુમાર ભવનવાસી દેવ પંચેન્દ્રિયના વૈક્રિયશરીર હોય છે. વિદ્યુત્ક્રુમાર ભવનવાસી દેવ પાંચેન્દ્રિયોના વૈક્રિયશરીર હાય છે, ઉદધિકુમાર ભવનવાસી દેવ પાંચન્દ્રિયાના વૈક્રિયશરીર હોય છે. દ્વીપકુમાર ભવનવાસી દેશ પચેન્દ્રિયાના વૈક્રિયશરીર હાય છે, દિકુમાર ભવનવાસીદેવ પંચેન્દ્રિયાના વૈક્રિયશરીર હોય છૅ, વાસુકુમાર ભવનવાસી દેવ પાંચેન્દ્રિયેાના વૈક્રિયશરીર હાય છે અથવા સ્તનિતકુમાર ભવનવાસી દેવ પંચેન્દ્રિયાના યુક્રિયશરીર હાય છે ? श्री भगवान्-हे गौतम ! असुरकुमार, नागकुमार, सुवार्थ कुमार, विद्युत्कुमार, अधिકુમાર, દ્વીપકુમાર, દિકુમાર, પવનકુમાર અને સ્તનિતકુમાર ભવનવાસી દેવ પ ંચેન્દ્રિયાના વૈક્રિયશરીર હાય છે. श्री प्रज्ञापना सूत्र : ४
SR No.006349
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1978
Total Pages841
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size58 MB
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