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________________ प्रमेयषोधिनी टीका पद २१ सू० ४ वैक्रियशरीरमेद निरूपणम् ६६५ यशरीरम् किं संख्येयवर्षायुष्कगर्भव्युत्क्रान्तिकपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिवै क्रियशरीरम् ? असं - येय वर्षायुष्कगर्भ व्युत्क्रान्तिकपश्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकवै क्रियशरीरम्, नो असंख्येयवर्षायुष्कगर्भव्युत्क्रान्तिकपचेन्द्रियतिर्यग्योनिकवै क्रियशरीरम्, यदि संख्ये वर्षायुष्कर्मच्यु कान्तिकपञ्चेन्द्रिय तिर्यग्योनिकवै क्रियशरीरम् किं पर्याप्त कसंख्येय वर्षायुष्कगर्भव्युत्क्रान्तिकपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकवैक्रियशरीर म् अपर्याप्त संख्ये वर्षायुष्कगर्भव्युत् कान्तिकहोता ( भवतियपं चिंदियतिरिक्खजोणिय वे उब्वियसरीर) गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यचों का वैकियशरीर होता है (जइ गन्भवक्कंतिय पंचिदियतिरिक्ख जोणिययेउच्चिसरोरे) यदि गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यचों का वैक्रियशरीर होता है (किं संखेज्जवासा उयगन्भवक्कंतिय पंचिदियतिरिक्खजोणिय वे उव्चियसरीरे) तो क्या संख्यात वर्ष की आयु वाले गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यचों का वैक्रियशरीर होता है ? अगर ( असंखेज्जवा साउयगन्भवतिय पंचिदियतिरिक्खजोणिय asoorसरीरे ?) अथवा असंख्यात वर्ष की आयु वाले गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यचों का वैक्रियशरीर होता है ? (गोयमा ! संखेज्जवासाज्यगन्भवक्कंतिय पंचिदियतिरिक्खजोणिय वे उब्विय सरीरे, नो असंखेज्जवासावयगन्भचक्कंतिय पंचिदियतिरिक्खजोणिय वेडव्वियसरीरे) हे गौतम ! संख्यात वर्ष की आयु वाले गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यचों का वैक्रियशरीर होता है, असंख्यात वर्ष की आयु वाले गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यचों का वैकियशरीर नहीं होता (जइ संखिज्जवासाज्यगन्भवक्कंतिय पंचिंदियतिरिक्खजोणिय वेडव्वियसरीरे ) यदि संख्यातवर्ष की आयु वाले गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यचों का वैक्रियशरीर होता है थाना बेडियशरीर नथी !तां (गव्भवतिय पंचिदियतिरिक्खजोणिय वेडव्वियसरीरे) गर्ल પંચેન્દ્રિય તિય ચેાના વૈક્રિયશરીર હોય છે. (जइ गब्भवकंतिय पंचिंदियतिरिक्खजोणिय वेउव्वियसरीरे ) यहि गर्लन यथेन्द्रिय तिय थाना वैडिशरीर होय छे (किं संखेज्जवासाज्यगन्भवक्कंतिय पंचिंदियतिरिक्खजो णिय वेडव्वियसरीरे ) तो शु संख्यात वर्षांनी आयुषाणा गर्ल पथेन्द्रिय तिर्यथाना બૈંક્રિયશરીર હાય छे ? ( असंखेज्जवासा उग्रगन्भवकंतियपंचिंदियतिरिक्खजोणियवे उव्वियसरीरे ?) अथवा असंख्यात वर्षांनी आयुषाणा गर्लन पथेन्द्रिय तिर्य' थाना वैडियशरीर होय छे ? (गोयमा ! संखेज्जवासाउय गन्भवतिय पंचिदियतिरिक्खजोणिय वेडव्वियसरीरे नो असंखेज्जवासा उयगब्भवक्कंतिय पंचिदियतिरिक्ख जोणियवेडव्वियसरीरे) हे गौतम ! સંખ્યાત વર્ષની આયુવાળા ગજપ'ચેન્દ્રિય તિર્યંચાના વૈક્રિયશરીર હાય છે, ખસ ખ્યાત વની આયુવાળા ગજ પચેન્દ્રિયા તિય``ચેાના વૈક્રિયશરીર નથી હાતાં. ( जइ संखिज्जवासाउय गव्भवक्कंतिय पंचिंदियतिरिक्खजोणियवे उव्वियसरीरे ) यहि સંખ્યાત વષઁની આયુવાળા ગજપ'ચેન્દ્રિય તિય ચાના વૈક્રિયશરીર હાય છે (િ प्र० ८४ श्री प्रज्ञापना सूत्र : ४
SR No.006349
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1978
Total Pages841
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size58 MB
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