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________________ प्रमेयबोधिनी टीका पद १७ स० १७ लेश्यायाः वर्णनिरूपणम २२५ आमतरिकाचैव, तेजोलेश्या खलु भदन्त ! कीदृशी वर्णेन प्रज्ञप्ता ? गौतम ! तयथानाम शश रुधिरमिति वा उरभ्ररुधिरमिति वा वराहरुधिरमिति वा सम्बररूधिरमिति वा मनुष्यरुधिरमिति वा, इन्द्रगोप इति वा बालेन्द्रगोप इति वा बालदिवाकर इति वा सन्ध्याराग इति वा गुञ्जा. ईराग इति वा नात्यहिङगुलक इति वा प्रवालाकर इति वा लाक्षारस इति वा लोहिताक्षमणिरिति वा कृमिरागकम्बल इति वा पजतालु इति वा चीनपिष्टराशीरिति वा पारिजातकुसुममिति वा जपाकुसुममिति वा किंशुकपुष्पराशीति वा रक्तोत्पलमिति वा रक्ताशोक इति वर्ण से कैसी कही है ? (गोयमा ! से जहा नामए) हे गौतम ! जैसे कोई (ससरुहिरएइ वा) शशकका रुधिर (उरभरुहिरेइ वा) मेष का रुधिर (चराहरुहिरेइ वा) शूकर का रुधिर (संघरहिरेइ वा) सांमर का रुधिर (मणुस्सरुहिरेइ या) मनुष्य का रुधिर (इंदगोपेइ वा) इन्द्रगोप नामक कीट (बालेंदगोपेइ वा) बाल इन्द्रगोप (बालदिवायरे वा) बालसूर्य- उगते समय का सूरज (संझारागेइ वा) संध्याकालीन लालिमा (गुंजद्धरागेइ वा) गुंजा के आधे भाग की लालिमा (जातिहिंगुलेह वा) उत्तम हिंगलू (पवालंकुरे इवा) मूगा का अंकुर (लक्खारसेवा) लाख का रस (लोहितकखमणीइ वा) लोहिताक्ष मणि (किमिराग कंबलेइ वा) किरमिची रंग का कंबल (गयतालुएइ वा) गज का तालू (चीणपिट्ठरासीइ वा) चीन नामक रक्त द्रव्य का चूरा (पारिजायकुसुमेइ वा) पारिजात का कुसुम (जासुमणकुसुभेड़ वा) जपा का फूल (किंसुथपुप्फरासीइ वा) किंशुक के पुष्पों को राशि (रत्तप्पलेड वा) लाल कमल (रत्तासोगेइ वा) लाल अशोक (रत्तकणवीरएई वा) लाल कनेर (रत्तबंधुजीवएइ वा) लाल बन्धुजीवक (भवेयारूवे?) ऐसे रूपवाली होती है ? (गोयमा ! णो इणढे समढे) गौतम ! यह अर्थ समर्थ अणियरिश चेव जाव अमणामपरिया चेव) यातलेश्या अनाथी -मनिष्ठत२ यावत् અમનામતર હોય છે. (तेउलेहसाणं भंते ! केरिसिया वण्णेणं पण्णत्ता ?) ३ मावन् ! २॥ पणे शक छ ? (गोयमा ! से जहानामए) 3 गौतम ! म (ससरुहिरएइ वा) खानु ३घि२ (उरब्भरुहिरेइ वा) भेषनु ३५२ (वराहरुहिरेइ वा) सूनु ३धि२ (संबररुहिरेइ वा) सामनु ३धि२ (मणुस्सरुहिरेइ वा) मनुष्ये नु ३धि२ (इंदगोपे इवा) छन्द्रगो५ नामना 8131 (बालेंदगोपेइ वा) मान्द्रगो५ (बालदिवायरेइ वा) मा सूर्य-गता पणतनो सूर्य (संज्झारागेइ वा) साधना विमा (गुजदरागेइ वा) यी १२५ मा enlain (जाति हिंगुलेइ वा) त्तम गि (पवालंकुरेइ वा) ५२१७पाना २ (लक्खारसेइ था) सामना २स (लोहितक्खमणिइ वा) सोहिताक्षम (किपिरागकंबलेइ वा) 8२भनी Hinm (गयतालुएइ वा) यानु ताण (चीणण्डिरासीइ वा) यान नामना दाजद्रव्या मुहै। (पारिजायकुसुमेई वा) पारिनु ५०५ (जासुमणकुसुमेइ वा) यानु पुस (किंसुयपुप्फराप्तीइ वा) शु५५नी राशि (रत्तप्पलेइ वा) ane भण (रत्तासोगेइ पा) सास श्री. प्रशान। सूत्र:४
SR No.006349
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1978
Total Pages841
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size58 MB
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