SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 135
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२२ प्रज्ञापनास " विकाः, तेजोलेश्याः संख्येयगुणाः, एवम् एतेषां खलु भदन्त ! देवानां देवीनाञ्च कृष्णलेश्यानां यावत् शुक्ललेश्यानां कतरे कतरेभ्योऽल्पा वा बहुका वा तुल्या वा विशेषाधिका वा ? गौतम ! सर्वस्तोका देवाः शुक्ललेश्याः, पद्मलेश्या असंख्येयगुणाः, कापोतलेश्या असंख्येयगुणाः, नीललेश्या विशेषाधिकाः, कृष्णलेश्या विशेषाधिकाः, कापोतलेश्या देव्यः संख्येयगुणाः, नोललेश्या विशेषाधिकाः, कृष्णलेश्या विशेषाधिकार, तेजोलेश्या देवाः सब से कम देवियां कापोत लेश्या वाली हैं (नीललेस्साओ विसेसाहियाओ) नीललेश्या वाली विशेषाधिक हैं ( कण्हलेस्साओ विसेसाहियाओ) कृष्णलेश्या वाली विशेषाधिक हैं ( तेउलेस्साओ संखेज्जगुणाओ) तेजोलेश्यावाली संख्यातगुणा हैं ( एवं ) इस प्रकार (एएसि णं भंते ! देवाणं देवीण य कण्हलेहसाणं य जाव सुक्कलेस्साण य) हे भगवन् ! इन कृष्णलेश्या वाले यावत् शुक्ललेश्या वाले देवों में और देवियों में (करे कयरेहिंतो) कौन किससे (अप्पा वा, बहुया वा तुल्ला वा विसे साहियावा ?) अल्प, बहुत, तुल्य, या विशेषाधिक हैं ? (गोयमा ! सव्वत्थोवा देवा सुक्कलेस्सा) हे गौतम ! सब से कम देव शुक्ललेश्या वाले हैं (पम्हलेस्सा असंखेज्जगुणा) पद्मलेश्या वाले असंख्यातगुणा हैं ( काउलेस्सा असंखेजगुणा ) कापोतलेश्या वाले असंख्यातगुणा हैं (नीललेस्सा विसेसाहिया) नीललेश्या वाले विशेषाधिक हैं ( कण्हलेस्सा विसेसाहिया ) कृष्णलेश्या वाले विशेषाधिक हैं (काउलेस्साओ देवीओ संखेज्जगुणाओ) कापोतलेश्या वाली देवियां संख्यातगुणा हैं (नीललेस्साओ विसेसाहियाओ) नीललेश्या वाली विशेषाधिक हैं (कण्ह लेस्साओ विसेसाहियाओ) कृष्णलेश्या वाली विशेषाधिक हैं ( तेउलेस्सा देवा (गोयमा ! सव्वत्थोवा देवीओ काउलेस्साओ ) हे गौतम! मधाथी गोछी देवियो अपोतसेश्यावाणी छे (नीललेस्साओ विसेसाहियाओ) नीतश्यावाणी विशेषाधि हो (कण्हलेस्साओ विसेसाहियाओ) कृष्णुलेश्यावाणी विशेषाधिः छे (तेउलेस्साओ संखेज्जगुणाओ ) तेलेोश्यावाणी सध्यातराणी छे ( एवं ) मे रीते. (एएसि णं भंते! देवाणं देवीण य कण्हलेस्साणं य जाव सुक्कलेस्साण य) हे भगवन् ! श्री कृष्णुखेश्यावाणा यावत् शुरुससेश्यावाणा हेवामां भने हेवियामां (कयरे कयरे हिंतो) अशु अनाथी (अप्पा वा, बहुया वा, तुल्ला वा विसेसाहिया वा १) महप, घाणा तुल्य वा विशेषाधिछे ? (गोयमा ! सव्वत्थोवा देवा सुक्कलेस्सा) हे गौतम ! अधाथी शोधा शुम्सेश्यावाणा हेव छे (पम्हलेस्सा असंखेज्जगुणा ) पद्मवेश्यावाणा असण्यातगा छे (काउलेस्सा असंखेज्जगुणा ) अये।तवेश्यावाणा असभ्याता छे (नीललेत्सा विसेसाहिया) नीससेश्यावाणा विशेषाधिक छे (कहस्सा विसेसाहिया ) कृष्णसेश्यावाणा विशेषाधिऊ छे (काउलेस्साओ देवीओ संखेज्जगुणाओ) अपोतोश्यावाणी हेवीयो संख्यातगाणी छे (नीललेस्साओ विसेसाहियाओ) नीललेश्यापाणी विशेषाधिक छे ( कण्हलेरसाओ विसेसाहियाओ) पृ॒ष्णुलेश्यावाणी विशेषाधिक छे श्री प्रज्ञापना सूत्र : ४
SR No.006349
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1978
Total Pages841
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size58 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy