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________________ ६८६ प्रज्ञापनासूत्रे तदनन्तरम् अवायः - निश्चयः प्ररूपणीयः, तदनन्तरम् ईहा प्ररूपणीया, तदनन्तरं व्यञ्जनावग्रहः - प्ररूप्यः, चकारादर्थावग्रहश्च प्ररूपणीयः, तदनन्तरम् - द्रव्येन्द्रियं प्ररूपणीयम्, तदनन्तरं भावेन्द्रियं प्ररूप्यम्, तदनन्तरम् अतीतबद्धपुरस्कृतानि द्रव्येन्द्रियाणि वक्तव्यानि तदनन्तरं भावेन्द्रियाणि च वक्तव्यानि इत्येवं रोत्या द्वितीयोदेश कार्थसंग्रहो गाथाद्वयेन प्रतिपादितोऽवसेयः ॥ ०२ ॥ ', मूलम् -कइविणं भंते! इंदियउवच पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे इंदिवर पण्णत्ते ? तं जहा- सोइंदिए उवचए, चक्खिदिए उवचए, घाणिदिए उवचए, जिब्भिदिए उवचए, फार्सिदिए उवचए, नेरइयाणं भंते! कवि इंदिओवच पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे इंदिओवचए पण्णत्ते, तं जहा- सोइंदिओवचए जाव फासिंदिओक्चए, एवं जाव मणियाण, जस्स जइ इंदिया तस्स तविहो चेव इंदिओवचओ भाणिroat१, कइ विहाणं भंते! इंदियनिव्वत्तणा ? गोयमा ! पंचविहा इंदिय निणा पणत्ता, तं जहा- सोइंदियनिव्वता जान फासिंदिय निव्वतणा, एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं, णवरं जस्स जइ इंदिया अस्थिर, सोइंदियवित्तणाणं भंते! कइ समइया पण्णत्ता ? गोयमा ! असंखेजइसमइया अंतोमुहुत्तिया पण्णत्ता, एवं जात्र फासिंदियनिव्वत्तणा, च्छेद अवाय आदि के भेद से अनेक प्रकार का होता है, इस कारण तदनन्तर अवाय का प्ररूपण किया जाएगा । (९) फिर ईहाका और फिर (१०) व्यंजनावग्रह का प्ररूपण होगा। सूत्र में प्रयुक्त 'च' शब्द से अर्थावग्रह की भी प्ररूपणा की जाएगी । (११) फिर द्रव्येन्द्रिय की, फिर (१२) भावेन्द्रिय की, तत्पश्चात् (१३) अतीत बद्ध और पुरस्कृत इन्द्रियों का कथन होगा। इस प्रकार दूसरे उद्देशक में निरूपित विषयों का संग्रह दो गाथाओं में किया गया हैं । ન્તર અવાયનું પ્રરૂપણ કરાશે. (4) पछी हड्डानु भने पछी (૧૦) વ્યંજનાવગ્રહનું પ્રકૃષ્ણ થશે. સૂત્રમાં પ્રયુક્ત ચ' શબ્દની અર્થાવગ્રહની પણ પ્રરૂપણા કરશે (११) पछी द्रव्येन्द्रियनी, पछी - ( १२ ) लावई न्द्रियनी, याने पछी(૧૩) અતીત, બદ્ધ અને પુરસ્કૃત ઇન્દ્રિયાનું કથન થશે. એ પ્રકારે ખીજા ઉદ્દેશકમાં નિરૂપિત વિષયેાના સંગ્રહ એ ગાથાઓમાં કરાએલે છે. श्री प्रज्ञापना सूत्र : 3
SR No.006348
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1977
Total Pages955
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size62 MB
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