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________________ प्रबोधिनी टीका पद १५ सू० २ इन्द्रियाणामवगाहनिरूपणम् ६०५ कक्खडगरुयगुणाणं मउयल हुयगुणाग कक्खडगुरुयगुण मउयल हुयगुणाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा, बहुया वा, तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा बेइंदियाणं जिभिदियस्स कक्खडगरुयगुणा, फासिंदियस्स कक्खडगरुयगुणा अनंतगुणा, फासिंदियस्स कक्खडगरुय गुणेहिंतो तस्स चैव मउयल हुयगुणा अनंतगुणा, जिभिदियस्स मउय लहुयगुणा अनंतगुणा, एवं जाव चउरिंदियत्ति, नवरं इंदियपरिवुड्डी कायव्वा, तेइंदियाणं घाणिंदिए थोवे, चउरिंदियाणं चक्खिदिए थोवे, सेसं तं चेत्र, पंचिंदियतिरिक्ख जोणियाणं मणूसाण य जहा नेरइयाणं, णवरं फार्सिदिए छव्विहसंठाणसंठिए पण्णत्ते, तं जहा - समचउरंसे, निग्गोहपरिमंडले, सादी, खुज्जे, वामणे, हुंडे, वाणमंतरजोइसिए वेमाणियाणं जहा - असुरकुमाराणं ॥ सू० ३ ॥ छाया - नैरयिकाणां भदन्त ! कति इन्द्रियाणि मज्ञप्तानि ? गौतम ! पञ्च इन्द्रियाणि प्रज्ञप्तानि तद्यथा - श्रोत्रेन्द्रियं यावत् - स्पर्शेन्द्रियम्, नैरयिकाणां भदन्त । श्रोत्रेन्द्रिय ि संस्थितं प्रज्ञप्तम् ? गौतम ! कदम्ब संस्थान संस्थितं प्रज्ञप्तम्, एवं यथा औधिकानां वक्तव्यता नैरयिक आदि- इन्द्रियवक्तव्यता शब्दार्थ - (नेरइया णं भंते ! कइ इंदिया पण्णत्ता ?) हे भगवन् ! नारकों की कितनी इन्द्रियां होती हैं ? (गोयमा ! पंच इंदिया पण्णत्ता) गौतम ! पांच इन्द्रियां कही हैं ? (तं जहा- सोइंदिए जाब फार्सिदिए ) वे इस प्रकार - श्रोत्रेन्द्रिय यावत् स्पर्शनेन्द्रिय | (रयाणं भंते ! सोइदिए किं संठिए पण्णत्ते ?) हे भगवन् ! नारकों की श्रोत्रेन्द्रिय किस आकार की है ? (गोयमा ! कलंबुया संठाणसंठिए पण्णत्ते) गौतम ! कदम्ब के पुष्प के आकार की है ( एवं जहा ओहियाणं वत्तव्वया નૈયિક આદિ ઈન્દ્રિય વક્તવ્યતા शब्दार्थ - (नेरइयाणं भंते! कइ इंदिया पण्णत्ता ?) हे भगवन् ! नारओनी डेंटली इन्द्रियो होय छे ? (गोयमा ! पंच इंदिया पण्णत्ता) हे गौतम! पांच हन्द्रियो उही छे (तं जहा सोईदिए जाव फार्सिदिए ) ते या अहारे श्रोत्रेन्द्रिय यावत् स्पर्शनेन्द्रिय (राणं भंते ! सोइदिए कि संठिए पण्णत्ते १) ३ लगवन् ! नारानी श्रोत्रेन्द्रिय देवा आहारनी छे ? (गोयमा ! कलंबुयासंठाणसंठिए पण्णत्ते) हे गौतम ! उभ्यना पुण्यना श्री प्रज्ञापना सूत्र : 3
SR No.006348
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1977
Total Pages955
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size62 MB
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