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प्रज्ञापनामुत्रे
यापत् - अलेश्या अपि योगपरिणामेन मनोयोगिनोऽपि यावद्-अयोगिनोऽपि, उपयोगपरिणामेन यथा नैरयिकाः, ज्ञानपरिणामेन आभिनिबोधिकज्ञानिनोऽपि यावत् केवलज्ञानिनो ऽपि, अज्ञानपरिणामेन त्रीण्यपि अज्ञानानि, दर्शनपरिणामेन त्रीण्यपि दर्शनानि, चारित्रपरिणामेन चारित्रिणोऽपि, अचारित्रिणोऽपि चारित्राचारित्रिणोऽपि वेदपरिणामेन स्त्रीवेदका अपि पुरुषवेदका अपि, नपुंसकवेदका अपि, अवेदका अपि वानव्यन्तरगतिपरिणामेन देवगतिकाः, यथा असुरकुमाराः, एवं ज्योतिष्का अपि, नवरं तेजोलेश्याः, वैमानिका णामेणं) लेइयापरिणाम से ( कण्हलेस्सा वि जाव अलेस्सा चि) कृष्णलेश्या वाले भी, यावत् अलेश्या भी (जोगपरिणामेणं मणजोगी वि, जाव अजोगी चि) योगपरिणाम से मनोयोगी भी यावत् अयोगी भी ( उवओगपरिणामेणं) उपयोग परिणाम से (जहा नेरइया) जैसे नारक ( णाणपरिण (मेणं) ज्ञानपरिणाम से (आभिणिवोहियणाणी वि जाय केवलणाणी वि) आभिनिबोधिकज्ञानी भी यावत् केवलज्ञानी भी (अण्णाणपरिणामेणं) अज्ञानपरिणाम से (तिणि. वि अण्णाणा) तीनों अज्ञानपरिणाम वाले (दंसणपरिणामेणं) दर्शनपरिणाम से (तिणि विदंसणा ) तीनों दर्शन परिणाम होते है (चरित्तपरिणामेणं) चारित्रपरिणाम से (चरिती वि, अचरिती वि, चरित्ताचरिती वि) चारित्रबात भी, चारित्र रहित भी, देश चारित्र्वाले भी (वेदपरिणामेणं) वेद परिणाम से ( इत्थीवेषणा वि, पुरिसवेषणा वि, नपुंसगवेयगा वि) स्त्री वेदी भी, पुरुष वेदी भी, नपुंसक वेदी भी (अवेयगा वि) अवेदी भी
( वाणमंतरा) वानव्यन्तर (गति परिणामेणं देवगतिया) गति परिणाम से देवगतिक (जहा असुरकुमारा) जैसे असुरकुमार ( एवं जोइसिया वि) इसी कृष्णवेश्यापाजा पाए यावत् असेश्य भए) (जोगपरिणामेगं मणजोगी वि जाव अजोगी वि) योगपरिणाभथी भनोयोगी पशु यावत् मयोगी पशु होय छे. ( उनओगपरिणामेणं) उपयोग परिणामी (जहा नेरइया) नेपा ना२४ ( णाणपरिणामेणं) ज्ञान परिणामी (आमिबोहियणाणी व जाव केवलणाणी वि) मालिनिमोधिज्ञानी पशु यावत् देवलज्ञानी या अण्णाणपरिणामेण ) अज्ञान परिणामथी (तिष्णि वि अण्णाणा ) भागे अज्ञान परिणाम वाणा (दंसणपरिणामेणं) हर्शन परिणामथी (तिणि वि दंसणा ) ये हर्शन परिणाम थाय छे (चारितपरिणामेणं) थारित्र परिणामयी (चरित्ती वि, अचरिती वि, चरित्ताचरित्ती वि) यारित्रवान् पशु व्यास्त्रिरहित यह देश शास्त्रिवाणा पशु (वेदपरिणामेणं) देह परिणाभथी (इथियगाव, पुरिसवेयगा वि, नपुंसगवेयगा वि) स्त्री वेही पथ; पु३ष वेही पशु नपुंस वेही पशु, (अवेयगाव) अवेही प
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(बाणमंतरा) पानप्यन्तर (गतिपरिणामेण देवगतिया) गति परिणामश्री देवगतिः ( जहा असुरकुमार ) भेवा असुरकुमार ( एवं जोइ सिया वि) प्रारे न्योतिष्ड य
श्री प्रज्ञापना सूत्र : 3