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प्रमेयबोधिनी टीका पद १३ स० २ गतिपरिणामादिनिरूपणम् कृष्णले श्यापरिणामः, नीलले श्यापरिणामः, कपोतलेश्यापरिणामः, तेजोलेश्यापरिणामः, पालेश्यापरिणामः, शुक्ललेश्यापरिणामः ४, योगपरिणामः खलु भदन्त ! कतिविधः प्रज्ञप्तः ? गौतम ! त्रिविधः प्रज्ञप्तः, तद्यथा-मनोयोगपरिणामः, वचोयोगपरिणामः, काययोगपरिणामः ५, उपयोगपरिणामः खलु भदन्त ! कतिविधः प्रज्ञप्तः ? गौतम! द्विविधः प्रज्ञप्तः, तद्यथा साकारोपयोगपरिणामः, अनाकारोपयोगपरिणामः ६, ज्ञानपरिणामः खलु भदन्त ! कहा है (तं जहा) वह इस प्रकार (कण्हलेस्सा परिणामे) कृष्णलेश्या परिणाम (नीललेस्सा परिणामे) नीललेश्या परिणाम (काउलेस्सा परिणामे) कापोतलेश्या परिणाम (तेउलेस्सा परिणामे) तेजोलेश्या परिणाम (पम्हलेस्सा परिणामे) पद्मलेश्या परिणाम (सुक्कलेस्सा परिणामे) शुक्ललेश्या परिणाम ___ (जोगपरिणामे णं भते ! कविहे पण्णत्ते ?) हे भगवन् ! योग परिणाम कितने प्रकार का कहा है ? (गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते) हे गौतम ! तीन प्रकार का कहा है (तं जहा-मणजोगपरिणामे, वइजोग परिणामे, कायजोग परिणामे) यह इस प्रकार-मनोयोग परिणाम, वचनयोग परिणाम, काययोगपरिणाम
(उचओगपरिणाम णं भते! कइबिहे पण्णत्त ?) हे भगवन् ! उपयोग परिणाम कितने प्रकार का कहा ? (गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते) हे गौतम ! दो प्रकार का कहा है (तं जहा) यह इस प्रकार (सागारोवओगपरिणामे, अणागारोवओगपरिणामे) साकारोपयोग परिणाम और अनाकारोपयोग परिणाम (णाणपरिणामे णं भंते ! कइविहे पण्णत्त ?) हे भगवन् ! ज्ञान परिणाम
(लेस्सापरिणामेणं भंते ! कइबिहे पण्णत्ते ?) हे मापन वेश्या परिणाम 20 प्रना ४ह्यो छे ? (गोयमा ! छबिहे पण्णत्ते) : गौतम ! ७ ४२ ४३a छ (तं जहा) ते ॥ प्रारे (कण्हलेस्सा परिणामे) वेश्या परिणाम (नीललेस्सा परिणामे) नीर वेश्या ५२. ४ान (का उलेस्सा परिणामे) पातोश्या परिणाम (तेउलेस्सा परिणामे) तेश्या परिणाम (पम्हलेरसा परिणामे) पद्म अश्या परिणाम (सुक्कलेस्सापरिणामे) शुसवेश्या५रिणाम.
(जोगपरिणामेणं भंते ! कइविहे पण्णते ?) 3 मावन् यो । परिणाम सा प्रश्ना ४ छ ? (गोयमा ! तिविहे पण्णत्त) गौतम! १९ ४२॥ ४i छ (तं जहा मणजोगपरिणामे, वइजोगपरिणामे, कायजोगपरिणामे) ते ॥ -मनाया परिणाम, વચનગ પરિણામ, કાય ગપરિણામ
(उवओगपरिणामेणं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ?) हे भगवन् ! 64 परिणाम या ५४२॥ ४i छ ? (गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते) हे गौतम ! मे प्र४२॥ ४i छ (तं जहा) ते मी २ (सागारोवओगपरिणामे, अणागारोवओगपरिणामे) सारा५यो। परिणम અને અનાકારે પગ પરિણામ
(णाणपरिणामेणं भंते ! कईविहे पणत्ते ( ? हे भगवन् ज्ञानपरिणाम 21 प्रारे
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૩