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जाब चउरित
पा, सेसं जहादियतिरिका
प्रमेयबोधिनी टीका पद १३ ० २ गतिपरिणामादिनिरूपणम् वि, नो सम्मामिच्छादिट्री, सेसं तं चेव, एवं जाव चउरिदिया, णवरं इंदियपरिवुड्डीकायब्बा, पंचिदियतिरिक्ख जोणिया गतिपरिणामेणं तिरियगतिया, सेसं जहा नेरइयाणं, णवरं लेस्सा परिणामेणं जाव सुक्कलेस्सा वि, चरित्तपरिणामेणं नो चरित्ती, अचरित्तो वि, चरित्ताचरिती वि, वेद परिणामेणं इथिवेदगा वि, पुरिसवेदगा वि, णपुंसगवेदगा वि, मणुस्सा गतिपरिणामेणं मणुयगतिया, इंदियपरिणामेणं पंचिदिया अणिदिया वि, कसायपरिणामेणं कोहकसाई वि जाव अकसाई वि लेस्सापरिणा मेणं कण्हलेस्सा पि जाय अलेस्सा बि, जोगपरिणामेणं मणजोगी वि जाव अजोगी वि, उपओगपरिणामेणं जहा नेरइया, णाणपरिणामेणं आभिणिबोहियणाणी वि जाव केवलणाणी वि, अण्णाणपरिणामेणं तिणि वि अण्णाणा, दंसणपरिणामेणं तिणि वि दंसणा, चरित्तपरिणामेणं चरित्ती वि, अचरित्ती वि, चरित्ताचरित्ती वि, वेदपरिणामेणं इत्थीवेयगा वि, पुरिसवेदगा वि, णपुंसगवेयगा वि, अवेयगा वि, वाणमंतरा गतिपरिणामेणं देवगतिया, जहा असुरकुमारा, एवं जोइसिया वि, नवरं तेउलेस्सा, वेमाणिया वि एवं चेव, नरं लेस्तापरिणामेणं तेउलेस्सा वि, पम्हलेस्सा वि, सुकलेस्ला वि, सेसं जीवपरिणामे।सू.२॥ ___ छाया-गतिपरिणामः खलु भदन्त ! कतिविधः प्रज्ञप्तः ? गौतम ! चतुर्विधः प्रज्ञप्तः, तद्यथा-नरकगतिपरिणामः, तिर्यग्णतिपरिणामः, मनुष्यगतिपरिणामः, देवगतिपरिणामः १,
गतिपरिणाम आदि की वक्तव्यता शब्दार्थ-(गतिपरिणामे णं भंते ! कविहे पणत्ते ?) हे भगवन् ! गतिपरिणाम कितने प्रकार का कहा है ? (गोयमा! चविहे पण्णत्ते) हे गौतम ! चार प्रकार का कहा है (तं जहा) वह इस प्रकार (निरयगतिपरिणामे) नरकगति
ગતિ પરિણામ આદિની વકતવ્યતા शहाथ-(गतिपरिणामेणं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ?) मापन गति परिणाम 21 ४ २ना छे ? (गोयमा चउबिहे पण्णत्ते) गौतम ! यार ५४२॥ ४i छ (तं जहा) ते
॥ अरे (निरयगतिपरिणामे) न२४मति परिणाम (तिरयगातपरिणामे) तिय याति परिणाम (मणुयगतिपरिणामे) मनुष्यति ५२म (देवगतिपरिणामे) ३५ गति ५२४ाम
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श्री प्रशान। सूत्र : 3