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प्रमेयबोधिनी टीका पद १३ स० १ परिणमनस्वरुपनिरूपणम् परिणमनं परिणामः, 'अकर्तरि'-इति भावे घञ् प्रत्ययः, स च परिणामो नयभेदेन विविधो भवति, नयाश्च नैगमादिभेदेनाने के सन्ति तेषां सर्वेषामपि नयानां संग्राहको प्रवचने द्रौ नयौ वर्तेते-द्रव्यास्तिकनयः, पर्यायास्तिकनयश्च, तथा चोक्तम्
'तित्थियरवयणसंगहविसेस पत्थार मूलयागरणा ।
दव्यट्टिओ य पज्जयनी य सेसा विगप्पासि ॥१॥ का इन्द्रिय रूप परिणाम इन्द्रिय परिणाम कहलाता है ।
(३) कषायपरिणाम-जिसमे कषन्ति अर्थात् प्राणी दुःखी होते है, उसे 'कष' कहते हैं । कष का अर्थ है संख्या जिनके कारण कष अर्थात् संसार की प्राप्ति हो, वह कषाय । जीव के कषाय रूप परिणमन को कषाय परिणाम कहते है।
(४) लेश्या परिणाम-लेश्या का स्वरूप आगे कहा जायगा। लेश्या रूप का परिणमन लेश्या परिणाम कहलाता है।
(५)योगपरिणाम-मनोयोग आदि योग कहलाते है । योग रूप परिणाम योग परिणाम कहलाता है। __ (६) उपयोग परिणाम-उपयोग प्रतीत ही है, उपयोग रूप परिणाम उपयोग परिणाम है ।
(७) ज्ञानपरिणाम-मतिज्ञान आदि पांच ज्ञानरूप परिणाम ज्ञानपरिणाम है। (८) दर्शनपरिणाम-सामान्य बोध रूप परिणमन । (९) चारित्रपरिणाम-चरण रूप परिणाम । (१०) वेदपरिणाम-स्त्री वेद आदि रूप में जीव का परिणमन विभिन्न ___ (3) ४षायपरिणाम-भा 'कषन्ति' अर्थात् प्राणी भी थाय छ, तर '' છે કષને અર્થ છે સંસાર, જેના કારણે કષ અર્થાત્ સંસારની પ્રાપ્તિ થાય તે કષાય જીવન કષાય રૂપ પરિણમનને કષાય પરિણામ કહે છે.
(૪) લેશ્યાપરિણામ-લેશ્યાનું સ્વરૂપ આગળ કહેવાશે. લેશ્યા રૂપ જીવનું પરિણમન લેશ્યા પરિણામ કહેવાય છે.
(५) या५रियाम-मनाया माया ४उपाय D. यो। ३५ परिणाम यो। परिણામ કહેવાય છે
(૬) ઉપગપરિણામ-ઉપગ પ્રતીત જ છે, ઉપગ રૂપ પરિણામ ઉપયોગ પરિણામ છે.
(૭) જ્ઞાન પરિણામ–મતિજ્ઞાન આદિ પાંચ જ્ઞાન રૂપ પરિણતિ જ્ઞાન પરિણામ છે.
(८) शन परिणाम-सामान्य माध३५ परिभान. (6) यात्रि परियाम-२२९१३५ परिणति.
(૧૦) વેદ પરિણામ-સ્ત્રીવેદ આદિ રૂપમાં જીવનું પરિણમન વિભિન્ન ભાવે પર
श्री. प्रशान। सूत्र : 3