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प्रज्ञापनासूत्रे
तद्यथा - उत्पन्नमिश्रिता १ विगतमिश्रिता २ उत्पन्न विगतमिश्रिता ३ जीवमिश्रिता ४ अजीवमिश्रिता ५ जीवाजीवमिश्रिता ६ अनन्तमिश्रिता७ प्रत्येकमिश्रिता८ अद्धमिश्रिता९ अद्धाद्धा मिश्रिता १० असत्या मृषा खलु भदन्त ! भाषा अपर्याप्तिका कतिविधा प्रज्ञप्ता ? गौतम ! द्वादशविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथा - आमन्त्रणी १ आज्ञापनी २ याचनी ३ पृच्छनी ४ च प्रज्ञापनी ५ प्रत्याख्यानी ६ भाषा भाषा इच्छानुलोमा च ७ ||१|| अनभिगृहीता भाषा ८ भाषा च अभिगृहीता ९ बोद्धव्या । संशयकरणी भाषा १० व्याकृता ११ अव्याकृता चैव १२ ||२|| सू० ५ ॥ (उप्पण्णमिस्सिया) उत्पन्न मिश्र (विगयमिस्सिया) विगत-मृत मिश्र (उप्पण्णविगयमिस्सिया) उत्पन्नविगत मिश्र ( जीवमिस्सिया) जीवमिश्र (अजीवमिस्सिया) अजीवमिश्र ( जीवाजीवमिस्सिया) जीवाजीवमिश्र (अनंत मिस्सिया अनन्तमिश्र (परित मिस्सिया) प्रत्येकमिश्र (अद्धामिस्सिया) अद्धामिश्र (अद्धद्धामिस्सिया) काल के एक देश से मिश्र
(असच्चा मोसा णं भंते ! भासा अपज्जन्तिया कइविहा पण्णत्ता ?) हे भगवन् ! असत्या मृषा अपर्याप्तिका भाषा कितने प्रकार की कही है ? (गोयमा ! दुवालसविहा पण्णत्ता) हे गौतम ! बारह प्रकार की कही है (तं जहा) वह इस प्रकार ( आमंतणि) संबोधन भाषा ( आणमणी) आज्ञापनी (जायणी) याचनी ( तह) तथा (पुच्छणी) पृच्छनी (य) और (पण्णवणी) प्रज्ञापनी (पच्चक्खाणि) प्रत्याख्यानी ( भासा) भाषा ( इच्छाणुलोमा) इच्छानुलोम ॥१॥
( अणभिग्गहिया भासा) अनभिगृहीता भाषा ( भासा य अभिग्गहंमि वोद्धव्या) और अभिग्रह में भाषा जाननी चाहिए (संसयकरणी) संशयकरिणी ( बोगड) व्याकृता - स्पष्ट अर्थ वाली (अव्बोगडा चेव) और अव्याकृता - अस्पष्ट अर्थ वाली ॥२॥
मिस्सिया) विगत-मृत मिश्र (उप्पण्णविगयमिस्सिया ) उत्पन्न विगत मिश्र ( जीवमिस्सि या) व मिश्र (अजीव मिस्सिया) व मिश्र ( जीवाजीवमिस्सिया) वाव मिश्र ( अनंत मिस्सिया) अनन्त मिश्र (परित मिस्सिया) प्रत्ये४ मिश्र (अद्धामिस्सिया) भद्धा - मिश्र (अद्धद्धा मिस्सिया ) अजना मेउद्देशथी भिश्र
(असच्चामोसाणं भंते ! भासा अपज्जत्तिया कइविहा पण्णत्ता ? ) हे भगवन् ! असत्या भूषा- अपर्याप्ता भाषा डेंटला अारनी ईडी छे ? ( गोयमा ! दुवालसविहा पण्णत्ता) हे गौतम ! मार अारनी उड्डी छे (तं जहा) ते या अठारे (आमंतणि) समोधन लाषा ( आणमणी) आज्ञापनी (जायणी) यायनी ( तह) तथा ( पुच्छणि) पृरछनी (य) मने (पण्णवणी) प्रज्ञापनी (पच्चक्खाणि) प्रत्याय्यानी (मासा) भाषा ( इच्छाणु लोमा) २छानु सोभ ॥ १ ॥
( अभिग्गहिया भासा) अनभिगृहीता भाषा ( भासाय अभिग्गहंमि बोद्धव्वा) भने અભિગ્રહમાં ભાષા જાણવી જોઇએ
(संसयकरणी) स ंशय रिणी ( वोगड) व्याहृता-स्पष्ट अर्थवाजी (अव्बोगडा चेव) अध्याहृतास्थय अर्थपाणी ॥ २ ॥
श्री प्रज्ञापना सूत्र : 3