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________________ भाषा द्रव्य के निसर्जन का निरूपण ३९९-४.५ वचन के स्वरूप का निरूपण ४०६-४१० भाषा के भेद विशेष का कथन ४११-४१५ बारहवां शरीर पद शरीर के प्रकारों का निरूपण ४१६-४२४ औदारिकादि शरीर विशेष का निरूपण ४२५-४४६ नारकादि को के औदारिकादिशरीरों का निरूपग ४४७-४५५ असुरकुमार आदि कों के औदारिकादि शरीर का निरूपण ४५६-४६१ पृथ्वीकायिकादि को के औदारिकादि शरीर का निरूपण ४६२-४७४ प्रतर पूरण का निरूपण ४७५-५०२ तेरहवां परिणामपद परिणमन के स्वरूप का निरूपण ५०३-५११ गति परिणामादि का निरूपण ५१२-५३७ अजीव परिणामका कथन ५३८-५५१ चौदहवां कषायपद कषायों के स्वरूपका कथन ५५२-५६१ क्रोधकषाय के विशेषभेदों का कथन ५६२-५७७ पंद्रहवां इन्द्रियपद विषयार्थ संग्रह ५७८-५८० इन्द्रियों के स्वरूप का कथन ५८१-५८८ इन्द्रियों के अवगाहनका निरूपण ५८९-६०२ नैरयिकादि के इन्द्रिय आदि का निरूपण ६०३-६२६ स्पृष्ट द्वार का निरूपण ६२७-६३२ इन्द्रियों के विषय परिमाण का निरूपण ६३३-६४१ अनगारादि विषयसंबंधी कथन ६४२-६६० प्रतिबिम्ब विषयक निरूपण ६६१-६६४ अढतीन्द्रिय विषयक कथन का निरूपण ६६५-६८३ શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૩
SR No.006348
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1977
Total Pages955
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size62 MB
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