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________________ १२६ प्रज्ञापनासूत्रे व्यानि ६ स्यात् चरमश्च अचरमश्च ७ नो चरमश्च अचरमाणि च ८ स्यात् चरमौ च अचरमश्च ९ स्यात् चरमौ च अचरमौ च १० स्यात् चरमश्च अवक्तव्यश्च ११ स्यात् चरमश्च अवक्तव्यौ च १२ स्यात् चरमौ च अवक्तव्यश्च १३ नो चरमाणि च अवक्तव्यानि च १४ नो अचरमश्च अवक्तव्यश्च १५ नो अचरमश्च अवक्तव्यानि च १६ नो अचरमाणि च अवक्तव्यश्च १७ नो अचरमाणि च अवक्तव्यानि १८ नो चरमश्च अचरमश्च अवक्तव्यश्च १९ में पृच्छा ? (गोयमा ! पंचपएसिए खंधे) गौतम ! पंचप्रदेशी स्कंध (सिय चरमे) कथंचित् चरम है, (१) (नो अचरमे) अचरम नहीं है, (२) (सिय अवत्तव्वए) कथंचितू अवक्तव्य है, (३) (नो चरमाई) चरमाणि नहीं, (४) (णो अचरमाई) अचरमाणि नहीं, (५) (नो अवत्तव्वयाइ) अवक्तव्यानि नहीं, (६) (सिय चरमे य अचरमे य) कथंचितू चरम और अचरम है (७) (नो चरमे य अचरमाइंच) चरम और अचरमाणि नहीं, (c) (सिय चरमाइंच अचरमे य) कथंचित् चरमाणि और अचरम है, (९) सिय चरमाईच अचरमाइंच) कथंचित् चरमाणि और अचरमाणि है, (१०) (सिय चरमे य अवत्तब्धए य) कथंचित् चरम और अव. क्तव्य है, (११) (सिय चरमे य अवत्तव्ययाइंच) कथंचित् चरम और अवक्तव्यानि है । (१२) (सिय चरमाईच अवत्तब्धए य) कथंचित् चरमाणि और अवक्तव्य है, (१३) (नो चरमाई च अवत्तव्वयाईच) चरमाणि और अवक्तव्यानि नहीं, (१४) (नो अचरमे य अवत्तव्वर य) अचरम और अवक्तव्य नहीं, (१५) (नो अचरमेय अवत्तव्ययाईच) अचरम और अवक्तव्यानि नहीं, (१६) (नो अचरमाईच अवत्तव्वए य) अचरमाणि और अवक्तव्य नहीं (१७) (नो (पंचपएसिएणं भंते ! खंधे पुच्छा ?) 8 लावन् ! पय प्रशी २४न्धना विषयमा ४२७ ? (गोयमा ! पंचपएसिएणं खघे) 3 गौतम ! ५५ प्रशी २४५ (सिय चरमे) थायित् २२म छ. (नो अचरमे) अय२म नथी, २ (सिय अवत्तव्वए) थयित् २१zतव्य 2, 3 (नो चरमाइं) य२मा नथी, ४ (णो अचरमाई) अयरमा नहि, ५ (नो अवत्तव्वयाइ) भवतव्यानि ५ नथी, ६ (सिय चरमेय अचरमेय) ४थयित् य२म मन मयरम छ, ७ (नो चरमे य अचरमाइं य) २२भ. मने भय२माण नथी, ८ (सिय चरमाइं च अचरमेय) ४थ थित् यरमाणि मन मयरम छ, ६ (सिय चरमाइं च अचरमाई च) ४यित् ५२मा भने ४थायित् अयमा छ, १० (सिय चरमेय अवत्तव्वए य) :थित् य२५. अने अवतव्य छ, ११ (सिय चरमेय अवत्तव्वयाई च) 3थयित् २२भ मन भवतव्यानि छ, १२ (सिय चरमाइं च अवत्तव्ययए च) ४थयित् ५२मा भने मतव्य छ, १७ (नो चरमाई च अवत्तव्बयाई च) य२माणि मने मतव्यानि नही, १४ (नो अचरमेय अवत्तव्वएय) अयरम अने गवतव्य नथी, १५ (नो अचरमेय अवत्तव्वयाईच) भयरम सन २०१४तव्यानि नही, १६ (नो अचरमाइं च अवत्तव्वए य) भयरमा मन मतव्य नथी, १७ (नो अचरमाइं च अवत्तव्ययाइं च) मयरमा मने मानि શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૩
SR No.006348
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1977
Total Pages955
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size62 MB
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