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________________ प्रबोधिनी टीका पद ६ सू.२ विशेषोपपात निरूपणम् ९५१ यम् उत्कृष्टेन अशीतिरात्रिंदिनानि सहस्रारे देवानां पृच्छा, गौतम ! जघन्येन एक समयम् उत्कृष्टेन रात्रिंदिनशतम्, आनतदेवानां पृच्छा गौतम ! जघन्येन एकं समयम् उत्कृष्टेन संख्येयमासान् प्राणत देवानां पृच्छा, गौतम ! जघन्येन एकं समयम् उत्कृष्टेन संख्येय मासान् आरणदेवानां पृच्छा, गौतम ! जधन्येन एक समयम्, उत्कृष्टेन संख्येयवर्षाणि, अच्युतदेवानां पृच्छा, गौतम ! जघ शुक्रकल्प के देवों के संबंध में पृच्छा ? (गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं उक्को सेणं असीई राईदियाई) हे गौतम! जघन्य एक समय, उत्कृष्ट अस्सी रात्रिदिन (सहस्सारे देवाणं पुच्छा ?) सहस्रार कल्प में देवों संबंधी पृच्छा ? (गोयमा ! जहणेणं एवं समयं, उक्को सेणं राइदियस ) हे गौतम! जघन्य एक समय, उत्कृष्ट एक सौ रात्रिदिनी (आणय देवराणं पुच्छा ?) अनन्त कल्प के देवों संबंधी पृच्छा ? (गोयमा ! जहणणं एवं समयं उक्कोसेणं संखेज्जमासा) हे गौतम ! जघन्य एक समय, उत्कृष्ट संख्यात मास तक (पाणयदेवाणं पुच्छा ?) प्राणत के उपपातविरह की पृच्छा ? (गोयमा ! जहणेणं एवं समयं, उक्कोसेण संखेज्जमासा) हे गौतम ! जघन्य एक समय, उत्कृष्ट संख्यात मास (आरणदेवाणं पुच्छा ?) आरणदेवों सबन्धी पृच्छा ? (गोयमा ! जहणेणं एवं समयं उक्कोसेर्ण संखिज्जवासा) हे गौतम! जघन्य ( महासुक्के देवाणं पुच्छा ?) महाशु उत्पना देवाना संबंधी पृच्छा ? (गोयमा ! जहणेणं एगं समयं, उक्कोसेणं असीई राईदियाई) डे गौतम! धन्य એક સમય અને ઉત્કૃષ્ટ એંસી રાત્રિ દિવસ ( सहस्सा रे देवार्ण पुच्छा ?) सहस्रार अहमां देवो समन्धी पृच्छा ? (गोयमा ! जहणेणं एवं समयं उक्कोसेणं राईदियस ) हे गौतम! धन्य भेड સમય ઉત્કૃષ્ટ એક સે રાત્રિ દિન (enorażanoi gear?) zuidd keydi zài Hoiul yayı? (MOHT ! जहण्णेजं एगं समयं, उक्कोसेणं संखेज्जमासा) हे गौतम! धन्य थे सभय ઉત્કૃષ્ટ સખ્યાત માસ સુધી (पाणय देवाणं पुच्छा ?) आशुत देवाना उपपात विरहनी पृच्छा ? (गोयमा ! हणे एगं समयं, उक्कोसेणं संखेज्जमासा) हे गौतम! धन्य ! समय ઉત્કૃષ્ટ સખ્યાત માસ ( आरणदेवाणं पुच्छा ?) भारएणु देवे। समन्धी पृरछा ? (गोयमा ! जहणेणं एवं समयं, उक्कोसेणं संखिज्जवासा) हे गौतम! धन्य मे समय, ઉત્કૃષ્ટ સખ્યાત વ શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર :૨
SR No.006347
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1177
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size68 MB
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