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प्रमेयबोधिनी टीका पद ३ सू.४ सेन्द्रियद्वारनिरूपणम्
कतरे कतरेभ्योऽल्पा वा, बहुका वा, तुल्या वा, विशेषाधिका वा ? गौतम ! सर्वस्तोकाः द्वीन्द्रियाः पर्याप्तकाः, द्वीन्द्रिया अपर्याप्तकाः असंख्येयगुणाः, एतेषां खलु भदन्त ! त्रीन्द्रियाणाम् पर्याप्तापर्याप्तानाम् कतरे कतरेभ्यो ऽल्पा वा, बहुका वा, तुल्या वा विशेषाधिका वा गौतम ! सर्वस्तोका स्त्रीन्द्रियाः पर्याप्तकाः त्रीन्द्रियाः अपर्याप्तकाः असंख्येयगुणाः, एतेपां खलु भदन्त ! चतुरिन्द्रियाणाम् पर्याप्तापर्याप्तानां कतरे कतरेभ्योऽल्पा वा, बहुका वा, तुल्या वा, विशेपाधिका वा ? (अपज्जत्ता) अपर्याप्त हैं (एगिदिया) एकेन्द्रिय (पज्जत्तगा संखेज्जगुणा) पर्याप्त संख्यातगुणा हैं । (एएसि णं भंते !) हे भगवन् ! इन (बेइं. दियाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं) द्वीन्द्रिय पर्याप्त-अपर्याप्त में (कयरे कयरेहिंतो) कौन किससे (अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा) अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? (गोयमा) हे गौतम ! (सव्वत्थोवा बेइंदिया पज्जत्तगा) सब से कम द्वीन्द्रिय पर्याप्त हैं (बेईदिया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा) द्वीन्द्रिय अपर्याप्त असंख्यातगुणा हैं । (एएसि णं मंते !) हे भगवन ! इन (तेइंदियाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं) त्रीन्द्रिय पर्याप्त-अपर्यास में से (कयरे कपरेहिंतो) कौन किससे (अप्पा या बहुया वा तुरला वा विसेसाहिया वा ?) अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? (गोयमा) हे गौतम ! (सव्वत्थोवा तेइंदिया पज्जत्तगा) सब से कम त्रीन्द्रिय पर्याप्त हैं (तेइंदिया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा) त्रीन्द्रिय अपर्याप्त असंख्यातगुणा हैं। (एएसि णं भंते !) हे भगवन् ! इन (चरिदियाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं) चौइन्द्रिय
मर्यात छ (एगिदिया) मेन्द्रिय (पज्जत्तगा संखेज्जगुणा) यांस से ज्यात शुछ (एएसिणं भंते !) 3 मावन् ! PAL (बेइंदियाणं पज्जत्तापज्जत्ताण) मे न्द्रिय ५यति २०५यतिभा (कयरे कयरेहितो) १ जनाथी (अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा) २५६५, मई, तुइय अथवा विशेषाधि छ (गोयमा !)
गौतम ! (सव्वत्थोवा बेइंदिया पज्जत्तगा) माथी माछ। मेन्द्रिय पर्याप्त छ (बेइंदिया अपज्जत्तगा असंखेज्ज गुणा) मेन्द्रिय २५५र्यास PARVयात गुए छ (एएसिणं भंते ! ) सावन् ! 21 (तेइंदियाणं पजत्तापज्जत्ताणं) धन्द्रिय ५४ २५५तिमाथी (कयरे कयरेहितो) । नाथी (अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया ? ) ५८५, घा, तुझ्य, अथवा विशेषाधिछ ? (गोयमा !) हे गौतम (सव्वत्थोवा तेइंदिया पज्जत्तगा) माथी से छन्द्रिय पर्यात छ (ते इंदिया अपज्जत्तगा असंखेन्ज गुणा) त्रयन्द्रिय २५५यांत २१सयात छ
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૨