________________
प्रमेयबोधिनी टीका पद ५ सू.०१ पर्यायमेदनिरूपणम् असंख्येयाः दिक्कुमाराः; असंख्येयाः वायुकुमाराः, असंख्येयाः स्तनितकुमाराः, असंख्येयाः पृथिवीकायिकाः, असंख्येयाः अप्कायिकाः, असंख्येयाः तेजः कायिकाः, असंख्येयाः वायुकायिकाः, अनन्ताः वनस्पतिकायिकाः, असंख्येयाः द्वीन्द्रियाः असंख्येयाः त्रीन्द्रियाः, असंख्येयाश्चतुरिन्द्रियाः, असंख्येयाः पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकाः, असंख्येयाः मनुष्याः, असंख्येयाः वानव्यन्तराः, असंख्येयाः ज्योतिष्काः, असंख्येयाः वैमानिकाः, अनन्ताः सिद्धाः, तत् एतेनार्थेन कुमारा) असंख्यात द्वीपकुमार हैं (असंखिज्जा उदहिकुमारा) असंख्यात उदधिकुमार हैं (असंखिज्जा दिसीकुमारा) असंख्यात दिशाकुमार हैं (असंखिज्जा वाउकुमारा) असंख्यात वायुकुमार हैं (असंखिज्जा थणियकुमारा) असंख्यात स्तनितकुमार हैं (असंखिज्जा पुढविकाइया) असंख्यात पृथ्वीकायिक (असंखिज्जा आउकाइया) असं. ख्यात अप्कायिक (असंखिज्जा तेउकाइया) असंख्यात तेजस्कायिक (असंखिज्जा वाउकाइया (असंख्यात वायुकायिक (अणंता वणफइकाइया) अनन्त वनस्पतिकायिक (असंखिज्जा बेइंदिया) असंख्यात दीन्द्रिय (असंखिज्जा तेइंदिया) असंख्यात त्रीन्द्रिय (असंखिज्जा चउरिंदिया) असंख्यात चौइन्द्रिय (असंखेज्जा पंचिंदियतिरिक्ख जोणिया) असंख्यात पंचेन्द्रिय तिर्थग्योनिक (असंखिज्जा मणुस्सा) असंख्यात मनुष्य (असंखिज्जा वाणमंतरा) असंख्यात वानव्यन्तर (असंखेज्जा जोइसिया) असंख्यात ज्योतिष्क (असंखेज्जा वेमाणिया)
भा२ छ. (अस खिज्जा उदहीकुमारा) २मस ज्यात अधिभार . (असं खिज्जा दिसीकुमारा) मसभ्यात शिशुभा२ छ. (अस खिज्जा वाउकुमारा) मसभ्यात पायुमार छ (असं खिज्जा थणियकुमारा) असण्यात नितभा२ छ.
(अस खिज्जा पुढविकाइया) अस ज्यात पृथ्वीय छे. (अस खिज्जा आउकाइया) असभ्यात २५.४यि४ छ. (असं खिज्जा तेउकाइया) असे ज्यात ते२४॥य छे. (अस खिज्जा वाउकाइया) मस ध्यातवायुय(अणंता वणप्फइकाइया) અનન્ત વનસ્પતિકાયિક છે.
(अस खिज्जा बेइंदिया) २१सध्यात द्वीन्द्रिय (अस खिज्जा तेइंदिया) AAV-यात श्रीन्द्रिय (असं खिज्जा चउरिन्दिया) असभ्यात या२ घन्द्रिय (अस खिज्जा पंचि. दियतिरिक्खजोणिया) असभ्यात येन्द्रियतिय योनि यो डाय छ (असंखिज्जा मणुस्सा) २५सध्यात मनुष्य (असखिज्जा वाणमन्तरा) मध्यात व्यान-यन्तर (अस खेज्जा जोइसिया) मध्यात न्याति (असंखेज्जा बेमाणिया) मसच्यात
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૨