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प्रज्ञापनासूत्रे
५०४ पल्योपमम् पञ्चभिः वर्षशतैरभ्यधिकम् अन्तर्मुहूर्तोनम्, ग्रहविमाने खलु भदन्त ! देवानां पृच्छा ? गौतम ! जघन्येन चतुर्भागपल्योपमम्, उत्कृष्टेन पल्योपमम्, अपर्याप्तकानां पृच्छा, गौतम ! जघन्येनापि उत्कृष्टेनापि अन्तर्मुहूर्तम्, अपर्याप्तकानां पृच्छा, गौतम ! जघन्येन चतुर्भागपल्योपमम् अन्तर्मुहूर्तोनम्, उत्कृष्टेन पल्योपमम् अन्तर्मुहूर्तों नम्, ग्रहविमाने खलु देवीनां पृच्छा, गौतम ! जघन्येन चतुर्भागपल्योपम् उत्कृष्टेन अर्द्धपल्योपमम् अपर्याप्तिकां पृच्छा ? गौतम ! जघन्येनापि ___ (गहविमाणे णं भंते ! देवाणं पुच्छा ?) हे भगवन् ! ग्रहविमान में देवों की स्थिति कितनी ? (गोयमा ! जहण्णेणं चउभागपलिओवर्म, उक्कोसेणं पलिओवमं) हे गौतम ! जघन्य चौथाई पल्योपम की, उत्कृष्ट एक पल्योपम की (अपज्जत्तयाणं पुच्छा ?) अपर्याप्तक ग्रह-देवों की स्थिति कितनी ? (गोयमा ! जहण्णेण वि अंतोमुहुत्त, उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्त) हे गौतम ! जघन्य भी अन्तर्मुहूर्त, उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की (पज्जत्तयाणं पुच्छा ?) पर्याप्तकों की स्थिति कितनी ? (गोयमा ! जहणेणं चउभागपलिओवमं अंतोमुहुत्तूणं, उक्कोसेणं पलिओवमं अंतोमुहत्तूण) हे गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम चौथाई पल्योपम, उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम एक पल्योपम
(गहविमाणे देवीणं पुच्छा) ग्रहविमान में देवियों की स्थिति कितनी है ? गोयमा ! जहण्णेणं चउभागपलिओवमं उक्कोसेणं अद्धपलिओवर्म) हे गौतम ! जघन्य चौथाई पल्योपम, उत्कृष्ट अर्ध पल्योपम ન્ય અન્તર્મુહૂર્ત ઓછા ચતુર્થાશ પામની, ઉત્કૃષ્ટ અન્તમુહૂર્ત ઓછા અર્ધ પપમ અને પાંચ વર્ષની
(गहविमाणेणं भंते ! देवाणं पुच्छा ?) भगवन् ! विमानमा होनी स्थिति सी ? (गोयमा ! जहण्णेणं चउभागपलिओवमं, उक्कोसेणं पलिओवमं) गौतम! धन्य यतुर्थाश पक्ष्योपभनी कृष्ट से पक्ष्या५मनी (अपज्जत्तयाणं पुच्छा ?) अपर्यात अड विमानना हेवानी स्थिति सी ? (गोयमा ! जहण्णेण वि अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं) गौतम ! धन्य ५५ मन्ततः , उत्कृष्ट ५ मन्तभुतनी (पज्जत्तयाणं पुच्छा ?) पानी स्थिति सी ? (गोयमा ! जहण्णेणं चउभागपलिओवमं अंतोमुहुत्तणं, उक्कोसेणं पलिओवमं अंतोमहत्तणं) गौतम ! धन्य मन्तभुत छ। यतुर्थाश पक्ष्या५म अष्ट અન્તમુહૂર્ત ઓછા એક પાપમ
(गहविमाणे देवीणं पुच्छा ?) विमाननी वियोनी स्थिति सी ? (गोयमा ! जहण्णेणं चउभागपलिओवमं, उक्कोसेणं अद्धपलिओवम) गीतम! धन्य भने यतुर्थी ५ ५८३।५भ, उत्कृष्ट २५ पक्ष्या५म (अपज्जत्तियाणं पुच्छा ?)
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૨