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प्रमेयबोधिनी टीका पद ४ सू.०२ देवदेवीनां स्थितिनिरूपणम् ४५९ स्थितिः प्रज्ञप्ता ? गौतम ! जघन्येनापि अन्तर्मुहूर्तम्, उत्कृष्टेनापि अन्तर्मुहूर्तम् पर्याप्तिकानां भदन्त ! नागकुमारीणां देवीनां कियन्तं कालं स्थितिः प्रज्ञप्ता ? गौतम ! जघन्येन दशवर्षसहस्राणि अन्तर्मुहूतौनानि, उत्कृष्टेन देशोनं पल्योपमम् अन्तर्मुहूतानम्, सुवर्णकुमाराणां भदन्त ! देवानां कियन्तं कालं स्थितिः भगवन् ! नागकुमारी देवियों की कितने काल की स्थिति कही है ? (गोयमा) हे गौतम ! (जहण्णेणं दसवाससहस्साई, उक्कोसेणं देसूर्ण पलिओवर्म) जघन्य दस हजार वर्ष की, उत्कृष्ट देशोन पल्योपम की (अपजत्तियाणं भते ! नागकुमारीणं देवीणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता) भगवन् ! अपर्याप्त नागकुमारी देवियों की कितने काल की स्थिति कही है ? (गोयमा) हे गौतम ! (जहण्णेण वि अंतोमुहुत्त, उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्त) जघन्य भी अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट भी अन्त. मुहूर्त (पज्जत्तियाणं भते ! नागकुमारीणं देवीणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ?) भगवन् ! पर्याप्त नागकुमारी देवियों की कितने काल की स्थिति कही है ? (गोयमा) हे गौतम ! (जहण्णेणं दसवाससहस्साई अंतोमुत्तूणाई उक्कोसेणं देसूणं पलिओवमं अंतोमुहुत्तूणं) जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम दस हजार वर्ष की उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम देशोन पल्योपम की।
(सुवण्णकुमाराणं भंते ! देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ?) हे भगवन् ! सुवर्णकुमार देवों की कितने काल की स्थिति कही है ? (जहण्णेण दसवाससहस्साई उक्कोसेण देसूण पलिओवम) धन्य ४२२ १२ पषनी मन कृष्ट शान पक्ष्योपभनी (अपज्जत्तियाण भंते ! नागकुमारीण देवीण केवइथं कालं ठिई पण्णत्ता) डे लावन् अपर्यास नागभारी वियोनी स्थिति सा जानी छ ? (गोयमा !) 3 गौतम ! (जहण्णेण वि अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण वि अतोमुहुत्तं) धन्यथी म. कृष्टथी ५४ मत इतनी छे. (पज्जत्तियाण भंते ! नागकुमारीण देवीण केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता) लावन् पर्याप्त नागभारी हवियानी स्थिति सा नी उस छ ? (गोयमा !) 3 गौतम ! (जहण्णेणं दसवाससहस्साई अंतोमुहुत्तणाई उक्कोसेण देसूण पलिओवमं अंतोमुहत्तण) धन्यथी मन्तभुत छ। ४२ २ १नी मने ઉત્કૃષ્ટથી અન્તર્મુહૂર્ત કમ દેશેન પલ્યોપમની છે.
(सुवण्णकुणाराण भंते ! देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ?) मावन् ! सुवर्ण भा२ वानी ॥ समयनी स्थिति ४डी छे ! (गोयमा !) गौतम ! (जहण्णेण दसवाससहस्साई उक्कोसेण दो पलिओबमाई देसूणा ई) धन्य ४०
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૨