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प्रमेयबोधिनी टोका पद ३ सू.४० महादण्डकानुसारेण सर्वजीवाल्पबहुत्वम् ४०५ त्तगा विसेसाहिया८०, बायरा विसेसाहिया८१, सुहमवणस्सइ. काइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा८२, सुहम अपज्जत्तया विसे. साहिया८३, सुहुमवणस्सइकाइया पज्जत्तया संख्रिज्जगुणा८४, पज्जत्तया सुहमा विसेलाहिया८५, सुहमा विसेसाहिया८६, भवसिद्धिया विसेसाहिया८७, निगोयजीवा विसेसाहिया८८, वणस्सइ जीवा विसेसाहिया८९, एगिदिया विसेसाहिया९०, तिरिक्खजोणिया विसेसाहिया९१ मिच्छादिट्री विसेसाहिया९२, अविरया विसेसाहिया९३, सकसाई विसेसाहिया९४, छउ. मत्था विसेसाहिया९५, सजोगी विसेसाहिया९६, संसारस्था विसेसाहिया९७, सव्व जीवा विसेसाहिया९८, पण्णवणाए भगवईए बहुवत्तव्ययपयं समत्तं ॥सू० ४०॥
तइयं पयं समत्तं ॥३॥ छाया-अथ भदन्त ! सर्वजीवाल्पबहुत्वं महादण्डकं वर्णयिष्यामि सर्वस्तोकाः गर्भव्युत्क्रान्तिका मनुष्याः १ मानुष्यः संख्येयगुणाः २, बादरतेजः कायिकाः पर्याप्तकाः असंख्येयगुणाः३, अनुत्तरौपपातिका देवाः असंख्येयगुणाः
महादण्डक का अल्पबहुत्व शब्दार्थ-(अह) अथ-अब (भंते) हे भगवन् ! (सव्वजीवप्पबहुं) सब जीवों के अल्प बहुत्व वाले (महादण्डयं) महादंडक का (वण्णइस्सामि) वर्णन करूंगा (सव्वत्थोवा गन्भवतिया मणुस्ता) सबसे कम गर्भज मनुष्य हैं (मणुस्सीओ संखिज्जगुणाओ) मनुष्यनी संख्यात गुणा अधिक हैं (बायरतेउकाइया पजत्तया असंखिजगुणा) पर्याप्त
મહાદંડક અપ બહુવ शहाथ-(अह) Aथ डवे (भंते) 3 भावन् (सव्वजीबप्पबहु) स वाना २०६५ महत्व पाणु (महादंडय) महानु (वण्णइस्सामि) न रीश (सव्वत्थोवा गम्भवक्कंतिया मणुस्सा) सौथी मोछ। मनुष्यो छे. (मणस्सीओ संखिज्जगुणाओ) मानुषिणी यातगणी पधारे छे. (बायरतेउकाइया पजत्तया असंखिज्जगुणा) पर्याप १४२ ते २४५४ मध्यात (अणुत्तरोववाइया
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૨