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प्रज्ञापनासूत्रे
असंखेज्जगुणाई, पच्चत्थिमेणं विसेसाहियाई, दाहिणेणं विसेसाहियाई, उत्तरेणं विसेसाहियाई ||सू० ३८ ॥ छाया - क्षेत्रानुपातेन सर्वस्तोकाः पुद्गलास्त्रैलोक्ये, ऊर्ध्वलोकतिर्यग्लो के अनन्तगुणाः, अधोलोकतिर्यग्लोके विशेषाधिकाः, तिर्यग्लोके असंख्येयगुणाः, ऊर्ध्वलोके असंख्येयगुणाः, अधोलोके विशेषाधिकाः, दिगनुपातेन सर्वस्तोकाः पुद्गलाः ऊर्ध्वदिशि, अधोलोके विशेषाधिकाः, उत्तरपौरस्त्येन दक्षिणपश्चिमेन चद्वयेऽपि तुल्याः असंख्येयगुणाः, दक्षिणपौरस्त्येन उत्तरपश्चिमेन च द्वयेऽपि पुद्गलद्वार वक्तव्यता
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शब्दार्थ - (खेत्ताणुवाएणं) क्षेत्र के अनुसार (सव्वत्थोवा पोग्गला तेलोक्के) सबसे कम पुद्गल त्रिलोक में हैं (उड्डलोयतिरियलोए अनंतगुणा ) ऊर्ध्वलोक- तिर्यक्लोक में अनन्तगुणा हैं (अहोलोयतिरिलोए विसेसाहिया) अधोलोक - तिर्यक्लोक में विशेषाधिक हैं (तिरियलोए असंखेज्जगुणा ) तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणा हैं (उडलोए असंखिज्जगुणा ) ऊर्ध्वलोक में असंख्यातगुणा हैं (अहोलोए विसेसाहिया) अधोलोक में विशेषाधिक हैं ।
(दिसाणुवारण) दिशाओं के अनुसार (सव्वत्थोवा पोग्गला उड्डदिसाए) सब से कम पुद्गल ऊर्ध्वदिशा में हैं ( अहोदिसाए विसेसाहिया) अधोदिशा में विशेषाधिक हैं (उत्तरपुरच्छिमेणं दाहिणपच्चत्थि - मेगं य दोषि तुल्ला) उत्तर-पूर्व तथा दक्षिण-पश्चिम दोनों में तुल्य हैं (असं विज्जगुणा) असंख्यातगुणा हैं (दाहिणपुरच्छिमेण उत्तरपच्चપુદ્ગલ દ્વારનું કથન
शब्दार्थ – (खेत्ताणुवाएणं) क्षेत्रना अनुसार (सव्वत्थोवा पोग्गला तेलोक्के) सौथी सोछा पुद्गलो त्रिलोभ छे, ( उड्ढलोयतिरियलोए अनंतगुणा ) उर्ध्व सा अने तिर्योम अनंत गला छे, ( अहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया) अधोलो तिर्यखेोभां विशेषाधि छे. (तिरियलोए अस खेज्जगुणा ) तिर्यग्सोमा असध्यात गणा छे, ( उड्ढलोए अस खिज्जगुणा) सोभां असण्यातला छे, ( अहोलोए विसेसाहिया) अधोमां विशेषाधि छे.
(दिसाणुवाएणं) हिशानी अनुसार (सव्वत्थोवा पोग्गला उड्ढ दिसाए) सौथी गोछा युद्गतेो उर्ध्व दिशामा छे. ( अहोदिसाए विसेसाहिया) अधोहिशामां विशेषाधि छे. ( उत्तरपुरच्छिमेणं दाहिणपच्चत्थिमेणं य दो वि तुल्ला) उत्तर पूर्व तथा दक्षिण पश्चिम मे मन्नेमां तुझ्य छे, मने (असंखिज्जगुणा ) असंख्यात गाया छे. (दाहिणपुरस्थि मेणं उत्तरपच्चत्थिमेण य दो वि तुल्ला विसे
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર :૨