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प्रमेयबोधिनी टीका पद ३ सू.३० क्षेत्रानुसारेण पञ्चेन्द्रियाद्यल्पबहुत्वम् ३२७ तिर्यग्लोके संख्येयगुणाः, अधोलोके संख्येयगुणाः, तिर्यश्लोके असंख्येयगुणाः ।।
टीका-- अथ पश्चेन्द्रियाणामल्पबहुत्वमाह-'खेत्ताणुवाएणं' क्षेत्रानुपातेनक्षेत्रानुसारेण प्ररूप्यमाणाः 'सव्वत्थोवा पंचिदिया तेलोक्के' सर्वस्तोका:-सर्वे. भ्योल्पाः पञ्चेन्द्रियास्त्रैलोक्ये-लोकत्रयवर्तिनो भवन्ति, अधोलोकालोके, अप्रलोकाद्वाऽधोलोके अन्यकायानां पञ्चेन्द्रियायुरनुभवताम् ईलिकागत्या समुत्पद्यमानानां, पञ्चेन्द्रियाणाश्चोर्ध्वलोकादधोलोके, अधोलोकालोके वा पञ्चेन्द्रियत्वेन अन्यकायत्वेन वा समुत्पित्सना मारणान्तिकसमुद्घातेन समवहतानां समुद्घातवशाच्चोत्पत्तिदेशं यावत् प्रक्षिप्तात्मप्रदेशदण्डानां पश्चन्द्रियायुः प्रतिसंवेयलीए असंखेजगुणा) ऊचलोक-तिग्लिोक में असंख्यातगुणा हैं । (तेलोक्के संखेजगुणा) त्रैलोक्य में संख्यातगुणा हैं (अहोलोयतिरियलोए संखिज्जगुणा) अधोलोक-तिर्यग्लोक में संख्यातगुणा हैं (अहोलोए संखेज्जगुणा) अधोलोक में संख्यातगुणा हैं (तिरियलोए असंखिज्जगुणा) तिर्यग्लोक में असंख्यातगुणा हैं।
अब पंचेन्द्रिय जीवों का अल्पबहुत्व कहते हैं
टीकार्थ-क्षेत्र के अनुसार प्ररूपणा की जाय तो सब से कम पंचेन्द्रिय जीव त्रिलोकस्पर्शी हैं, क्योंकि यही जीव तीनों लोकों को स्पर्श करते हैं जो ऊर्ध्वलोक से अधोलोक में या अधोलोक से ऊर्ध्वलोक में उत्पन्न हो रहे हों, पंचेन्द्रिय की आयु का अनुभव कर रहे हों और ईलिकागति से उत्पन्न हो रहे हों, अथवा जो पंचेन्द्रिय ऊर्चलोक से अधोलोक में या अधोलोक से ऊर्ध्वलोक में पंचेन्द्रिय रूप से या अन्य रूप से उत्पन्न होते हुए मारणान्तिक समुद्घात कर रहे हों और अपने उत्पत्तिदेश पर्यन्त जिन्होंने आत्मप्रदेशों को फैलाया हो गुणा) ४ तियोमा मज्यात छे. (तेलोक्के सखेज्जगुणा) त्रैती४यमा सण्यात छ. (अहोलोयतिरियलोए सखेज्जगुणा) अधोखा-तिय.
मा सच्यात छ. (अहोलोए सखेज्जगुणा) २मधासभा सण्यातगए। छे. (तिरियलोए असखिज्जगुणा) तिय ४३४मा मध्यात छे.
ટીકાઈ-હવે સૂત્રકાર પચેન્દ્રિય જીવોના અલ્પબહુવનું કથન કરે છે.
ક્ષેત્ર અનુસાર પ્રરૂપણા કરવામાં આવે તે. સૌથી ઓછા પંચેન્દ્રિય જીવો ત્રિલોક સ્પશી છે. કેમકે એ જ જીવો ત્રણે લોકોને સ્પર્શ કરે છે. કે જે ઉર્વલકથી અધલેકમાં અથવા અધલેકથી ઉર્થકમાં ઉત્પન્ન થતા હોય, પંચેન્દ્રિયેના આયુષ્યને અનુભવ કરી રહેલ હોય અને ઇલિકા ગતિથી ઉત્પન્ન
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૨