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________________ प्रमेयबोधिनी टीका पद ३ सू.३३ क्षेत्रानुसारेण द्वीन्द्रियाद्यल्पबहुत्वम् ३१३ स्त्रीन्द्रिया अपर्याप्तकाः ऊर्ध्वलोके, ऊर्ध्वलोकतिर्थग्लोके असंख्येयगुणाः, त्रैलोक्ये असंख्येयगुणाः, अधोलोके संख्येयगुणाः, तिर्यग्लोके संख्येयगुणाः, क्षेत्रानुपातेन सर्व स्तोका स्त्रीन्द्रियाः पर्याप्तकाः ऊर्ध्वलोके, ऊर्ध्वलोकतिर्यग्लोके असंख्येयगुणाः, कैलोक्ये असंख्येयगुणाः, अधोलोकतिर्यग्लोके असंख्येयगुणाः, अधोलोके संख्येसंखिज्जगुणा ) तिर्यग्लोक में संख्यातगुणा हैं । (खेत्ताणुवारण) क्षेत्र की अपेक्षा (सव्वत्थोवा तेइंदिया अपज्जनगा) सब से कम त्रीन्द्रिय अपर्याप्त (उढलोए) ऊर्ध्वलोक में हैं (उडूटलोयतिरियलोए असंखिज्जगुणा ) ऊर्ध्वलोक- तिर्यग्लोक में असंख्यातगुणा हैं (तेलोके असंखिज्जगुणा) त्रैलोक्य में असंख्यातगुणा हैं ( अहोलोयतिरियलोए असंखेज्जगुणा ) अधोलोक - तिर्यग्लोक में असंख्यातगुणा हैं (अहोलोए संखेज्जगुणा ) अधोलोक में संख्यातगुणा हैं ( तिरियलोए संखेज्जगुणा) तिर्यग्लोक में संख्यात गुणा हैं । खेत्ताणुवाण) क्षेत्र की अपेक्षा (सव्चत्थोवा तेइंदिया पज्जन्तया) सब से कम त्रीन्द्रिय पर्यातक ( उड्ढलोप) ऊर्ध्वलोक में हैं ( उडूलोयतिरियलोए असंखज्जगुणा ) ऊर्ध्वलोकतिर्यग्लोक में असंख्यातगुणा हैं ( तेलोक्के असंखिज्जगुणा) त्रैलोक्य में असंख्यातगुणा हैं (अहोलोयतिरियलोए असंखेज्जगुणा ) अधोलोक - तिर्यग्लोक में असंख्यातगुणा हैं (अहो - लोए संखेज्जगुणा) अधोलोक में संख्यातगुणा हैं ( तिरियलोए संखिज्जगुणा ) तिर्यग्लोक में संख्यातगुणा हैं । सौंध्यात गणु। छे. (तिरियलोए संखिज्जगुणा ) तिर्य उसोभां संख्यात छे. ( खेत्ताणुवाएणं) क्षेत्रनी अपेक्षा (सव्वत्थोवा तेइंदिया पज्जन्त्तया) सौथी शोछा त्रीन्द्रिय पर्यास ( उड्ढलोए) सोभां छे. ( उडूढलोयतिरियलोए असंखिज्जगुणा ) उसे ४ - तिर्योउभा असण्यातगा छे. (तेलोक्के असंखेज्ज - गुणा) त्रैाभां असं ज्यात छे. ( अहोलोयतिरियलोए असंखेज्जगुणा) अध सो तिर्यलोभां असभ्याता छे. ( अहोलोए संखिज्जगुणा ) अधोलो भां सध्यातगणा छे. (तिरियलोए संखेज्जगुणा ) तिर्यखेोभां सभ्याता छे. (खेत्ताणुवाएणं) क्षेत्रनी अपेक्षाओ (सव्वत्थोवा तेइंदिया पज्जत्तया) सौथी गोछा त्रीन्द्रिय पर्यास ( उड्ढलोए) सोभां छे. ( उड्ढलो यतिरियलोए असंखेज्जगुणा ) असे तिर्यो मां असभ्याता छे. (तेल्लोके असं खिज्जगुणा ) त्रैलोउयमां असंख्यात छे ( अहोलोयतिरियलोए अस खेज्जगुणा ) अधोलो तिर्यखेोभां असं ज्यातला छे ( अहोलोए संखिज्जगुणा ) अधोसोभां सभ्यातगणा छे (तिरियलोए संखिज्जगुणा ) तिर्यग्योउभां संख्यातगणा छे. प्र० ४० શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૨
SR No.006347
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1177
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size68 MB
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