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प्रमेयबोधिनी टीका पद ३ सू.३१ भवनपतिदेवानामल्पबहुत्वम् २८७ उड्ढलोए असंखेज्जगुणा, खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवाओ वेमाणि. णीओ देवीओ उड्डलोयतिरियलोए, तेलोक्के संखेज्जगुणाओ, अहोलोयतिरियलोए संखेज्जगुणाओ, अहोलोए संखेजगुणाओ, तिरियलोए संखेजगुणाओ, उड्डलोए असंखेज्जगुणाओ। सू. ३१॥ __छाया-क्षेत्रानुपातेन सर्वस्तोका भवनवासिनो देवाः ऊर्ध्वले के, ऊर्ध्वलोकतिर्यग्लोके असंख्येयगुणाः, त्रैलोक्ये संख्येयगुणाः, अधोलोकतिर्यग्लोके असंख्येयगुणाः, तिर्यग्लोके असंख्येयगुणाः, अधोलोके असंख्येयगुणाः, क्षेत्रानुपातेन सर्वस्तोका भवनवासिन्यो देव्य ऊर्ध्वलोके, ऊर्ध्वलोकतिर्य ग्लोके असंख्येय गुणा त्रैलोक्ये संख्येयगुणाः, अधोलोकतिर्यग्लोके असंख्येयगुणाः, तिर्यग्लोके
भवनपति आदि देवों का अल्पबहुत्व शब्दार्थ-(खेत्ताणुवाएणं) क्षेत्र के अनुसार (सव्वत्थोथा भवणचासी देवा उडलोए) सब से कम भवनवासी देव ऊर्ध्वलोक में हैं (उड़लोयतिरियलोए असंखेजगुणा) ऊर्ध्वलोक-तिर्यग्लोक में असंख्यातगुणा हैं (तेलोक्के संखेजगुणो) त्रैलोक्य में संख्यातगुणा हैं (अहोलोय तिरियलोए असंखेज्जगुणा) अधोलोक -तिर्यग्लोक में असंख्यातगुणा हैं (तिरियलोए असंखेज्जगुणा) तिर्यग्लोक में असंख्यातगुणा हैं (अहोलोए असंखेज्जगुणा) अधोलोक में असंख्यातगुणा हैं (खेत्ताणुवाएणं) क्षेत्र के अनुसार (सन्चथोवाओ भवणवासिणीओ देवीओ उडुलोए) सब से कम भवनवासिनी देवियां ऊर्ध्वलोक में हैं (उडलोय तिरियलोए असंखेज्जगुणाओ) ऊर्ध्वलोक-तिर्यग्लोक में असंख्यात
ભવનપતિ આદિ દેવેનું અ૫ બહત્વ हाथ-(खेत्ताणुवाएणं) क्षेत्रना अनुसार (सव्वत्थोवा भवणवासी हेवा उड्ढलोए) अधाथी सोछ। भवनवासी हेव अवमा छ. (उढलोयतिरियलोए असंखेज्जगुणा) aalas तियोमा मसच्यात छ. (तेलोक्के संखेज्जगुणा) सोयमा संन्यातमा छ (अहोलोयतिरियलोए असंखेज्जगुणा) -4पी. atx-तिय सभा असण्यात छे, (तिरियलोए असंखेज्जगुणा) तियोमा मस यात छे (अहोलोए असंखेज्जगुणा) मधासोमा मध्यात छे.
(खेत्ताणुवाएणं) क्षेत्रना अनुसार (सब्वत्थोवा भवनवासिणीओ देवीओ उडूढलोए ) माथी माछी भवनवासिनी वियो वाम छ. ( उइढलोए तिरियलोए असंखेज्जगुणाओ) aaaax-तियोमा मसभ्याती छे. (तेलो
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૨