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________________ प्रमेयबोधिनी टीका पद ६ सू.०१५ नैरयिकानां परमविकायुष्यबन्धनि० ११३७ तिभागतिभागाबसेसाउया परभवियाउयं पकरेंति, एवं मणूसा वि, वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा नेरइया!। दारं।सू.१५॥ ____छाया-नैरयिकाः खलु भदन्त ! कतिभागावशेषायुषः पारभविकायुष्यं प्रकुर्वन्ति ? गौतम ! नियमात् षड्मासावशेषायुष्काः पारभविकायुष्यम् , एवम् असुरकुमारा अपि, एवं यावत् स्तनितकुमाराः पृथिवीकायिकाः खलु भदन्त ! कति भागावशेषायुष्काः पारभविकायुष्यं प्रकुर्वन्ति ? गौतम ! पृथिवीकायिकाः द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा सोपक्रमायुष्काश्च, निरुपक्रमायुष्काच, तत्र खल जे ते निरुपक्रमा परभव की आयु का बन्ध शब्दार्थ-(नेरइया णं भंते !) हे भगवन् ! नारक जीव (कतिभागावसेसाउया) कितना भाग आयु शेष रहने पर (परभवियाउयं) आगामी भव की आयु को (पकरें ति) करते-बांधते हैं ? (गोयमा !) हे गौतम ! (नियमा) नियम से (छम्मासावसेसाउया परभवियाउयं) छह मास आयु शेष रहने पर परभव की आयु बांधते हैं ? (एवं असुर कुमारा वि) इसी प्रकार असुर कुमार भी (एवं जाव थणियकुमारा) इसी प्रकार यावतू स्तनित कुमार। ___(पुढविकाइया णं भंते ! कतिभागावसेसाउया परमवियाउयं पकरेति) हे भगवन् ! पृथ्वीकायिक कितने भाग आयु शेष रहने पर परभव की आयु बांधते हैं ? (गोयमा !) हे गौतम ! (पुढयिकाइया दुविहा पण्णत्ता) पृथ्वीकायिक दो प्रकार के कहे हैं । (तं जहा) वे इस प्रकार (सोवक्कमाउया य निरुवकमाउया य) उपक्रमयुक्त आयु वाले और પરભવની આયુના બન્ય शाय :-(नेरइयाणं भंते !) 3 भगवन् न॥२४ ०१ (कतिभागावसेसाउया) सा मा मायु शेष २उतi (परभवियाउयं) 210भी लवनी मायु (पकरेंति) मांधे छ-४२ छ ? (गोयमा !) 3 गौतम ! (नियमा) नियमथी (छम्मासावसेसा उया परभविआउयं) छ भास मायु माछी रहतi ५२मनी सायु सांधे छ (एवं असुरकुमारा वि) मे०४ ४२ असुरभा२ ५५(एवं जाव थणियकुमारा) એ પ્રકારે યાવત્ સ્વનિતકુમાર (पुढबिकाइयांणं भंते ! कतिभागावसेसाउया परभवियाउयं पकरेंति) उलगવન ! પૃથ્વીકાયિક કેટલા ભાગ આયુ શેષ રહેતા પરભવનું આયુ બાંધે છે? (गोयमा !) गौतम ! (पुढविकाइया दुविहा पण्णत्ता) पृथ्वीय थे प्रारना Bा छ (तं जहा) तेथे २॥ रीते (सोवकमाउया य निरूवकमाउयाय) 64भ युक्त मायुवा भने ७५ २हित मायुवाणा (तत्थ णं) तमामांथी (जे ते निरुव प्र. १४३ શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૨
SR No.006347
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1177
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size68 MB
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