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प्रमेयबोधिनी टीका पद ३ सू.६ सूक्ष्मबादरकायद्वारनिरूपणम् प्तकाः, सूक्ष्मपृथिवीकायिकाऽपर्याप्तकाः विशेषाधिकाः, सूक्ष्माप्कायिकाऽपर्याप्तका विशेषाधिकाः, सूक्ष्मवायुकायिकाऽपर्याप्तका विशेषाधिकाः, सूक्ष्मनिगोदाऽपर्याप्तका असंख्येयगुणाः, सूक्ष्मवनस्पतिकायिकाऽपर्याप्तका अनन्तगुणाः, सूक्ष्माः अपर्याप्तका विशेषाधिकाः, एतेषां खलु भदन्त ! सूक्ष्मपर्याप्तकानां. सूक्ष्मपृथिवीकायिकानां पर्याप्तकानाम् , सूक्ष्मा कायिकानां पर्याप्तकानां, सूक्ष्म तेजस्कायिकानां पर्याप्तकानाम् सूक्ष्मवायुकायिकानां पर्याप्तकानां, सूक्ष्मवनस्पनिकायिकानां पर्याप्तकानां, सूक्ष्मनिगोदपर्याप्तकानाञ्च कतरे कतरेभ्योऽल्पा अल्प, बहुत, तुल्य याविशेषाधिक हैं ? (गोयमा) हे गौतम (सव्वत्थोवा सुहुम तेउकाइय अपज्जत्तया) सब से अल्प सूक्ष्म तेजस्कायिक के अपर्याप्त हैं (मुहुम पुढचिकाइय अपज्जत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्म एथिवीकाय के अपर्याप्त विशेषाधिक हैं (सुहम आउकाइया अपज्ज. त्तया विसेसाहिया) सूक्ष्म अप्काय के अपर्याप्त विशेषाधिक हैं (सुहुम बाउकाइया अपज्जत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्म वायुकायिक अपर्याप्त विशेषाधिक हैं (सुहुम निगोदा अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा) सूक्ष्म निगोद के अपर्याप्त असंख्यात गुणा हैं (सुहम वणस्सइकाइया अपज्जत्तया अणंतगुणा) सूक्ष्म वनस्पतिकायिक अपर्याप्त अनन्त गुणा हैं (सुहुमा अपज्जत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्म अपर्याप्त विशेषाधिक हैं। __ (एएसि णं भंते !) हे भगवन् । इन (सुहुम पज्जत्तयाणं) सूक्ष्म पर्याप्त (सुहुम पुढयिकाइयाणं पज्जताणं) सूक्ष्म पृथिवीकायिक पर्याप्त (सुहम आउकाइयाणं पज्जत्ताणं) सूक्ष्म अप्कायिक पर्याप्त (सुहम तेउकाइयाणं पज्जत्ताणं) सूक्ष्म तेजस्कायिक पर्याप्त (सुहुम चाउका. विशेषाधि४ छ ? (गोयमा ! ) गौतम ! सव्वत्थोवा सुहुम तेउकाइया अपज्जत्तया) सौथी मेछ। सूक्ष्म ते४२४।यन। २५५र्यात छे (सुहुम पुढविकाइय अपज्जया विसेसा. हिया) सक्षम वयना २५पर्यात विशेषाधि छ (सहुम आउकाइया अपज्जतया विसेसाहिया) सूक्ष्म ४४ायना २५पर्याप्त विशेषाधि छ (सुहम वाउकाइया अपज्जत्तया विसेस हिया) सूक्ष्म वायु४५४ अपर्याप्त विशेषाधि छे (सहुम निगोदा अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा) सूक्ष्म निगढिना पर्याप्त असण्यात ! छ (सुहुम वणस्सइकाइया अपज्जत्तया अगंतगुणा) सूक्ष्म वनस्पतिथि अर्यात भनत (मुहुमा अपञ्जत्तया बिसेसाहिया) सूक्ष्म २५५यात विशेषाधि४ छ
(एएसिणं भंते) मगवन् ! २ (सुहुम पज्जत्तयाणं) सूक्ष्म पर्यात (सहम पुढविकइयाणं पज्जत्ताणं) सूक्ष्म पृथ्वीय पर्याप्त (सुहुभ आउकाइयाणं पज्जत्ताण) सूक्ष्म यि पर्यात (सुहुम तेउकाइयाणं पज्जत्ताणं) सूक्ष्म त य
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શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૨