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प्रमेयबोधिनी टीका पद ६ सू.१० असुरकुमाराद्युपपातनिरूपणम् १०५७ यदा पृथिवीकायिकेभ्य उपपद्यन्ते, किं सूक्ष्मपृथिवीकायिकेभ्य उपपद्यन्ते ? बादरपृथिवीकायिकेभ्य उपपद्यन्ते ? गौतम ! द्वाभ्यामपि उपपद्यन्ते, यदा वक्ष्मपृथिवीकायिकेभ्य उपपद्यन्ते, किं पर्याप्तकपृथिवीकायिकेभ्य उपपद्यन्ते, अपर्याप्तकपृथिवीकायिकेभ्य उपपद्यन्ते ? गौतम ! द्वाभ्यामपि उपपद्यन्ते, यदि बादरपृथ्वीकायिकेभ्य उपपद्यन्ते ? किं पर्याप्तकेभ्य उपपद्यन्ते' अपर्याप्तकेभ्य उपपद्यन्ते ? गौतम ! द्वाभ्या___ (जइ पुढवि काइएहिता उववज्जंति) यदि पृथिवीकायिकों से उत्पन्न होते हैं । (किं सुहुम पुढविकाइएहिंतो उववज्जंति) क्या सूक्ष्म पृथ्वीकायिकों से उत्पन्न होते हैं ? (बायर पुढविकाइएहिंतो उववज्जंति) बादर पृथ्वीकायिकों से उत्पन्न होते हैं ? (गोयमा) हे गौतम ! (दोहितो वि उपवज्जति) दोनों से ही उत्पन्न होते हैं (जइ सुहुम पुढवि काइएहितों उववज्जति) यदि सूक्ष्मपृथिवीकायिकों से उत्पन्न होते हैं। (किं पज्जत्तपुढविकाइएहिं उववज्जति ?) क्या पर्याप्त पृथिवीकायिकों से उत्पन्न होते हैं ? (अपज्जत्तपुढवि काइएहिंतो उववज्जति ?) अपर्याप्त पृथ्वीकायिकों से उत्पन्न होते हैं ? (गोयमा !) दोहितो वि उववज्जंति) हे गौतम ! दोनों से ही उत्पन्न होते हैं । (जइ बायर पुढविकाइएहितो उववज्जति) यदि बाद पृथिवी कायिकों से उत्पन्न होते हैं (किं पज्जत्तएहितो उववजंति) क्या पर्याप्तकों से उत्पन्न होते हैं । (अपज्जत्तएहिंतो उववज्जंति) अपर्याप्तकों से उत्पन्न होते हैं ? (गोयमा ! दो. हितो वि उववज्जंति) हे गौतम ! दोनों से उत्पन्न होते हैं ? (एवं जाव
(जइ पुढविकाइएहिंतो उववज्जंति) यह वी43थी उत्पत्र थाय छ (किं सुहमपुढविकापरहितो उवबज्जंति ?) शुसूक्ष्मपृथ्वीविडीथी उत्पन्न याय छ ? (बायर पुढविकाइएहिंतो उववज्जंति) माह२ पृथ्वीयाथी जत्पन्न थाय? (गोयमा ! दोहितो वि उववज्जति) 3 गौतम ! भन्नेथी उत्पन्न थाय छे. (जड सुहुम पुढविकाद्वएहिंतो उववज्जंति) यहि सूक्ष्म पृथ्वीय थी उत्पन्न थाय छ (किं पज्ज्ञत्त पुढविकाइएहितो उववज्जंति ?) शुर्यासथ्वी4थी उत्पन्न थाय छ १ (अपज्जत्त पुढविकाइएहिं तो उववज्जंति ?) A५यास पृथ्वी यिथा उत्पन्न थाय छ ? (गोयमा ! दोहितो वि उववज्जति) 3 गौतम ! मन्नेथी ५ उत्पन्न छ (जइ बायरपुढविप्राइएहितो उववजति) यहि मा४२ पृथ्वीथी उत्पन्न थाय छ (किं पज्जत्तएहिंतो उववज्जंति ?) शु पर्यायी उत्पन्न थाय छे ? (अपज्जत्तएहिंतो उववज्जंति ?) अपर्याप्तीथी उत्पन्न थाय छ ? (गोयमा ! दो हिंतो वि उववज्जति) 3 गीतम! भन्नेथी ५-1 थाय छ (एवं जाव वणस्सइ
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શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૨