________________
%ER
___ प्रज्ञापनास्त्रे भदन्त ! लान्तकदेवानां पर्याप्तापर्याप्तानां स्थानानि प्रज्ञप्तानि ? कुत्र खलु भदन्त ! लान्तकदेवाः परिवसंति ? गौतम ! ब्रह्मलोकस्य कल्पस्य उपरि सपक्षं सप्रतिदिक बहूनि योजनानि यावद् बहुकाः योजनकोटिकोटीः ऊर्ध्वम् दरम् उत्प्रेत्य, अत्र खलु लान्तको नामकल्पः प्रज्ञतः, प्रचीनप्रचीनायतो यथा ब्रह्मलोकः, नवरं पश्चाशद् विमानावाससहस्राणि भवन्ति, इत्याख्यातम्, अवतंसकाः तथा ईशानावतंसकाः, नबरं मध्ये अत्र लान्तकावतंसको, देवास्तथैव विहरन्ति, लान्तकोऽत्र देवेन्द्रो देवरानः परिवसति, यथा सनत्कुमारः, नवरम्
(कहि णं भंते ! लंतगदेवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता ?) हे भगवन् ! पर्याप्त-अपर्याप्त लान्तक देवों के स्थान कहां कहे हैं ? (कहि णं भंते ! लंतगदेवा परिवसंति ?) हे भगवन् ! लान्तक देव कहां निवास करते हैं ? (गोयमा) हे गौतम ! बंभलोगस्स कप्पस्स उप्पि) ब्रह्मलोक कल्प के ऊपर (सक्खि सपडिदिसिं) समान दिशा
और समान विदिशा में (बहूइं जोयणाई) बहुत योजन (जाव बहुगाओ जोयणकोडाकोडीओ) यावत् बहुत कोडाकोडी योजन (उडूं दुरं उप्पइत्ता) ऊपर दूर जाकर (एत्थणं) यहां (लंतए णामं कप्पे पण्णत्ते) लान्तक नामक कल्प कहां है (पईणपडीणायए) पूर्व-पश्चिम में लम्बा (जहा बंभलोए) जैसा ब्रह्मलोक कल्प (नवरं) विशेष (पण्णासं विमाणावाससहस्सा) पचास हजार विमान (भवंतीति मक्खायं) हैं ऐसा कहा है (वडिंसगा जहा ईसागवडिंसगा) ईशानावतंसक के समान अवतंसक (नवरं) विशेष (मज्झे इत्थ लंतगवडिंसए) मध्य में यहाँ
(कहिणं भंते ! लंतगदेवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता ?) भगवन् ! पर्यात--पर्याप्त सात हेवाना स्थान ४i vai छ ? (कहिणं भंते ! लंतक देवा परिवसंति?) सावन् ! त हेर ४यां निवास ४२ छ (गोयमा) 3 गौतम ! (बंभलोगस्स कप्पस्स उप्पिं) प्रक्षो। ४६५। ५२ (सपक्खिं सपडिदि सिं) समान हशा अने. समान विहिशासभा (बहूइं जोयणाई) ५॥ योगन (जाव बहुगाओ जोयणकोडाकोडीओ) यावत् डी योन (उडढं दरं उप्पइत्ता) ५२ ६२ ०४४ने (एत्थणं) अलि (लंतए णाम कापे पण्णत्ते) सान्त नाम४ ४८५ ४ो छ (पाईण पडीगायए) पूर्व पश्चिममा emi (जहा बंभलोए)
वो ब्रह्मा ४८५ (नवरं) विशेष (पण्णासं विमाणावाससहस्सा) ५यास डा२ विमान (भवंतीति मक्खायं) छ, सेभ यु छ (वडिंसगा जहा ईसाण वडिसगा) शनापतसना समान अवत'स४ (निवरं) विशेष (मज्झे इत्थ लंतग वडिसए) भक्ष्यमा सहिदान्तावतसर छे. (एए देवा) ॥ हेव (तहेव)ते
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧