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________________ ७६८ प्रज्ञापनास्त्रे चतुर्दशानाम् इन्द्राणाम् भणितव्या, नवरं भवननानात्वम् इन्द्रनानात्वम्, वर्णनानात्वम् परिधाननानात्वम् च, आभिर्गाथाभिरनुगन्तव्यम्-चतुष्षष्टिरसुराणाम्, चतुरशीतिश्चैव भवन्ति नागानाम् । द्वासप्ततिः सुवर्णे, वायुकुमाराणाम् पण्णवतिः ॥ १३० ॥ द्वीपदिशोदधीनाम्, विद्युत्कुमारेन्द्रस्तनिताग्नीनाम् । पण्णामपि युगलानाम् द्वासप्ततिः शतसहस्राणि ॥ १३१ ॥ चतुस्त्रिंशत् चतुश्चत्वारिंशद् की ( वतव्वया) वक्तव्यता (भणिया) कही (तहा) वैसी (सेसाण वि चउदसह इंदाण) शेष चौदह इन्द्रों की भी (भाणियव्वा) कहनी atite (नवर) विशेषता (भवणणाणसं ) भवनों की भिन्नता (इंदणाणतं ) इन्द्रों की भिन्नता (वण्णणाणत्तं) रंगों की भिन्नता (परिहाणणाणत्तं) वेष की भिन्नता (इमाहिं ) इन ( गाहाहिं) गाथाओं द्वारा (अणुगंत) जान लेना चाहिए (चउसट्ठि असुराणं) असुरकुमारों के चौसठ लाख (चुलसीतं चेव होंति नागाणं) नागकुमारों के चौरासी लाख (बावत्तरिं सुवण्णे) सुपर्णकुमारों के बहत्तर लाख (वाउकुमाराण छन्नउई) वायुकुमारों के छयानवे लाख ॥१३०॥ (दीवदिसाउदी) द्वीपकुमारों, दिशाकुमारों, उदधिकुमारों के (विज्जुकुमारिंद धणियमग्गीणं) विद्युत्कुमार, स्तनितकुमार एवं अग्निकुमार (छपि जुअलाण ) इन छहों के युगलों के (छावत्तरियो सयसहस्सा) छहत्तर- छहत्तर लाख भवनावास हैं ॥ १३१ ॥ (चउतीसा) चौतीस (चउयाला) चवालीस (अडतीसं च) अडतीस वक्तव्यता (भणिया) डी छे ( तहा) तेवी (सेणाण वि चउदसह इंदाणं) शेष योहे द्रोनी पाशु (भाणियच्चा) उडेवी लेहो (नवर) विशेषता (भवणणाणत्तं) लवनानी लिन्नता ( इंदणाणत्तं ) इन्द्रोनी लिन्नता (वण्णणाणत्तं) रंगोनी भिन्नता (परिहाणणाणत्तं) वेषनी लिन्नता (इमा हिं) यामधी ( गाहाहिं ) गाथाओ द्वारा (surias) myl àal Ms. (चउसट्ठि असुराणं) यास साथ असुरसुभारोना (चुलसीतं चेत्र होंति नागाण) नागभाना योरासी साग (वावत्तरिं सुवणे) सुवर्णा भाशेना मोतेर साग (वाउकुमाराणं छन्नउई) वायुभाना छन्तु सा ॥१३०॥ (दीव दिसा उदहीण ) द्वीपकुमारी, हिशाकुमार उदधिभारोना (विज्जुकुमारिंदधणीयमग्गीण) विद्युत्कुमार, स्तनितकुमार तेभन अग्निकुमार (छहं पि जुअलाण) मा छमेना युगसोना (छवत्तरियो सयसहस्सा) छ हुन्नर छोतेरसाण भवनावास छे. 1937। શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧
SR No.006346
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages1029
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size59 MB
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