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प्रज्ञापनासूत्रे भवनच्छिद्रेषु, भवननिष्कुटेषु, निरयेषु, निरयावलिकासु, निरयग्रस्तटेषु, निरयच्छिद्रेषु, निरयनिष्कुटेषु । ऊर्वलोके-कल्पेषु, विमानेषु, विमानावलिकासु, विमानप्रस्तटेषु, विमानच्छिद्रेषु, विमाननिष्कुटेषु । तिर्यग्लोके-प्राची-प्रतीचीदक्षिणो-दीचीषु, सर्वेषु एव लोकाकाशच्छिद्रेषु, लोकनिष्कुटेषु च अत्र खलु बादरवायुकायिकानां पर्याप्तकानां स्थानानि प्रज्ञप्तानि । उपपातेनलोकस्या संख्येयेषु भागेषु समुद्घातेन लोकस्यासंख्येयभागेषु स्वस्थानेन लोकस्या संख्येयेषुके छिद्रों में (निरयनिक्खुडेसु) नरक के निष्कुट प्रदेशों में ।
(उड्ढलोए) ऊर्ध्वलोक के अन्दर (कप्पेसु) कल्पों में (विमाणेसु) विमानों में (विमाणावलियालु) आवलीबद्ध विमानों में (विमाणपत्थडेसु) विमानों के पाथडों में (विमाणछिद्देसु) विमानों के छिद्रों में (विमाणनिक्खुडेसु) विमानों के निष्कुट प्रदेशों में । __ (तिरियलोए) तिर्छ लोक के अन्दर (पाईण-पडीण-दाहीण-उदीण) पूर्व,पश्चिम, दक्षिण और उत्तर में (सव्वेसु चेव लोगागासछिद्देसु) समस्त लोकाकाश के छिद्रों में (लोगनिक्खुडेसु) लोक के निष्कुट प्रदेशों में (एत्थ णं बायरवाउकाइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा पणत्ता) इन स्थलों में बायर पर्याप्तक वायुकायिकों के स्थान कहे हैं।
(उववाएणं लोयस्स असंखेज्जेसु भागेसु) उपपात की अपेक्षा लोक के असंख्येय भागों में (समुग्घाएणं लोयस्स असंखेज्जेसु भागेसु) समुद्घात की अपेक्षा लोक के असंख्येय भागों में (सट्ठाणेणं लोयस्स असंखेज्जेसु भागेसु) स्वस्थान की अपेक्षा लोक के असंख्येय भागों में ।
(उड्ढलोए) Salaaनी म-४२ (कप्पेसु) ४८पामा (विमाणेसु) विभानामा (विमाणावलियासु) ५ति म विभानामत (विमानपत्थडेसु) विमानना ५२थामा (विमाण लिहेस) विमानाना छिद्रोभा (विमाणनिक्खुडेसु) विमानाना निट प्रदेशमा ___ (तिरियलोए) तिwlaxat A४२ (पाईण-पडीण, दाहिण-उदीण) पूर्व पश्चिम क्षिए भने उत्तरमा (सव्वेसु चेव लोगागासछिदसु) समस्त ation छिद्रोमा (लोगनिक्खडेयु) सोना निळूट प्रदेशमा (एत्थणं बायरवाउकाइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा ण्णत्ता) २. स्थलामा ४२ पति वायु।यि ।। २थान ४ह्या छे.
(उववाएणं लोयस्स असंखेज्जेसु भागेसु) B५५ातनी अपेक्षा नामसभ्येय मागोमा (समुग्घाएणं लोयस्स असंखेज्जसु भागेसु) समुद्धातनी अपेक्षाये डोना मस-येय मागोमा (सटाणेणं लोयस्स असंखेज्जेसु भागेसु) स्वस्थाननी અપેક્ષાએ લેકના અસંખ્યય ભાગમાં
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧