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प्रज्ञापनासूत्रे
श्वेताम्बिकाऽपि च नगरी, केकैयाधं च आर्य भणितम् । अत्रोत्पत्ति जिनानां, चक्रिणां रामकृष्णानाम् ॥६॥ ते एते क्षेत्रार्याः ।।
अथ के ते जात्यार्याः ? जात्यार्याः षड्रविधाः प्रज्ञताः, तद्यथा-अम्बष्ठाश्च१, कलिन्दाश्चर, वैदेहाः३, वेदङ्गादिकाः४ । हरिताः५, चुञ्चुणाश्चैव ।६। षडेते इग्यजातयः ॥१॥ ते एते जात्यार्याः ।२। अथ के ते कुलार्याः ? कुलार्याः षडूविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा- उग्राः१, भोगाः२, राजन्याः३, ईक्ष्वाकवः४, ज्ञाताः५, कौरव्याः ६ ते एते कुलार्याः ।३॥ अथ के ते कार्याः ? कर्मार्या अनेकविधाः (सावत्थी य) और श्रावरती (कुणाला) कुणाल (कोडीवरिसं च) और कोटिवर्ष (लाटा य) और लाट (सेयविया वि य जयरी) तथा श्वेताम्बिका नगरी (केकय अद्धं च) आधा केकय देश (आरियं भणियं) अर्य क्षेत्र कहा है (इत्थुप्पत्ती जिणाणं चक्कीणं रामकण्हाणं) इन क्षेत्रों में तीर्थकरों, चक्रवतियों, बलदेवों और वासुदेवों की उत्पत्ति होती है। (से तं खेत्तारिया) यह क्षेत्रार्य की प्ररूपणा हुई ।। ___(से किं तं जाइआरिया ?) जाति से आर्य कितने प्रकार के हैं ? (छविहा पण्णत्ता) छह प्रकार के हैं (तं जहा) वे इस प्रकार (अंबट्टा य) अंबष्ठ (कलिंदा य) कलिंद) (विदेहा) वैदेह (वेदंगादिया) वेदङ्गादिक (हरिया) हरित (चुंचुणा चेव) और चुचुण (छ) छह (एया) ये (इन्भजाईओ) इन्भजातियां हैं । (से तं जाइआरिया) यह जाति-आर्य हुए। ____ (से किं तं कुलारिया ?) कुल से आर्य कितने प्रकार के हैं ? (छविहा पण्णत्ता तं जहा)छह प्रकार के कहे हैं वे इस प्रकार (उग्गा) उग्र (भोगा) भोग (राइन्न) राजन्य (इवखागा) इक्ष्वाकु (णाया) ज्ञात (लाटा य) मन बाट (सेयविया वि य णयरी) तथा श्वेता नगरी (केकय अद्ध च) मन मधे ४५ देश (आरियं भणियं) मायक्षेत्र छ (इत्थुपत्ती जिणाणं चक्कीणं रामकण्हाणं) २॥ क्षेत्रमा तीथ ४२।, यवतीया, सहेव। मने पासुहेवोनी पत्ति थाय छ (से तं खेत्तारिया) २॥ क्षेत्र मानिी प्र३५! २४
(से किं तं जाइआरिया) जतिथी माया ४२॥ छ ? (जाई आरिया) तिथी २04 (छ विहा पण्णत्ता) ७ प्रा२न छ (त जहा) तेस।
॥ ४ारे छ (अबंट्टाय) 4403 (कालिंदा य) सि (विदेहा वैदेड (वेदंगादि या) २६६ (हरिया) २ (चुचुणाचेव) मने युयाय (छ) छ। (एया) PAL (इन्भ जाईआ) छल्य नती छ (से तं जाइ आरिया) Pin antी भार्या छ
(से किं त कुलारिया) सना मा टसा प्रश्ना छ ? (कुलारिया) मुरथी माय (छ विहा पण्णत्ता) ७ ४२॥ ४॥ छ (त जहा) ते॥ २॥
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧