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________________ प्रज्ञापनासूत्रे तद्यथा-वल्गुल्यः, जलौकसः, अडिल्लाः, भारण्डपक्षिणः, जीवञ्जीवाः, समुद्रवायसाः, कर्णत्रिकाः, पक्षिविडालिकाः, ये चान्ये तथाप्रकाराः, ते एते चर्मपक्षिणः । अथ के ते रोमपक्षिणणः ? रोमपक्षिः अनेकविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथाढङ्काः, कङ्काः, कुरलाः, वायसाः, चक्रवाकाः, हंसाः, कलहंसाः, राजहंसाः, पादहंसाः, आडाः, सेडयः, बकाः, बलाकाः, पारिप्लवाः, क्रोश्चाः, सारसाः, मेसराः, मसूराः मयूराः, सप्तहस्ताः, गहराः, पोण्डरीकाः, काकाः, कमेयपक्खी) विततपक्षी (से किं तं चम्मपक्खी ?) चर्मपक्षी कितने प्रकार के हैं ? (अणेगविहा पण्णत्ता तं जहां) अनेक प्रकार के कहे हैं यथा (बग्गुली) बल्गुली-चमगीदड (जलोया) जलौका (अडिल्ला) अडिल्ल (भारंडपक्खी) भारण्डपक्षी (जीवंजीया) चक्रवाक (समुद्दघायसा) समुद्रवायस (कण्णत्तिया) कर्णत्रिक (पक्खिविरालिया) पक्षिविडालिका (जे यावन्ने तहप्पगारा) अन्य जो इसी प्रकार के है । (से तं चम्मपक्खी ) यह चर्मपक्षी हुए। (से किं तं लोमपक्खी ?) रोमपक्षी कितने प्रकार के हैं ? (अणेगविहा पण्णत्ता) अनेक प्रकार के कहे हैं (तं जहा) जैसे (ढंक) ढंक (कंक) कंक (कुरला) कुरल (वायसा) वायस (चकागा) चकचा (हंसा) हंस (कलहंसा) कलहंस (रायहंसा) लाल चोंच वाले हंस (पायहंसा) पादहंस (आडा) आड (सेडी) सेडी (बगा) चगुला (बलागा) बलाका (परिप्पवा) पारिप्लय (कोच) क्रौंच (सारसा) सारस (मेसरा) मेसर (मसूरा) मसूर (मयूरा) मयूर (सत्तहस्था) सप्तहस्त (गहरा) गहर (पोंडरीया) (से किं तं चम्मपक्खी) य पक्षी ८॥ ४२न छ ? (चम्मपक्खी) यभ पक्षी (अणेगविहा पण्णत्ता) भने ५४२॥ द्या छ (तं जहा) तेस। २॥ प्रा२ छ (वग्गुली) पशुपक्षी-यभ६७ (जलोया) vals (अडिल्ला) मसि (भारंडपक्खी) मा ७५क्षी (जीवंजीवा) २४१।४ (समुद्दवायसा) समुद्रवायस (कण्ण त्तिया) ४४ (पक्खी विरालिया) पक्षीगीति (जे यावन्ने तहप्पगारा) अन्य से 20 प्रा२ना छ (से तं चम्मपक्खी) 0 यम पक्षी थयां. (से किं तं लोमपक्खी ?) रामपक्षी ४८सा प्रश्न छ ? (अणेगविहा पण्णत्ता) मने प्रा२ना ४ा छ (तं जहा) सभ (ढंक) ४ (कंका) ४४ (कुरला) २४ (वायसा) वायस ४१11 (चक्कागा) यास (हंसा) स (कल हंसा) ४सा (राजहंसा) रास दास न्यायपास (पायहंसा) पास (आडा) २।७ (सेडी) सेडी (वगा) मा (वलागा) या (परिप्पवा) परिसर कोंचा) औय (सारसा) सारस (मेसर) भेस२ (मसूरा) भसू२ (मयूरा) भार (सत्त શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧
SR No.006346
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages1029
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size59 MB
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