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________________ ३८८ प्रज्ञापनासूत्रे चक्रवर्तिस्कन्धावारेषु, वासुदेवस्कन्धावारेषु, माण्डलिकस्कन्धावारेषु, महामाण्डलिकस्कन्धावारेषु, ग्रामनिवेशेषु, नगरनिवेशेषु, निगमनिवेशेषु, खेटनिवेशेषु, कर्बटनिवेशेषु, मडम्बनिवेशेषु, द्रोणाखनिवेशेषु, पट्टन-पत्तननिवेशेषु, आकरनिवेशेषु, आश्रमनिवेशेषु, संबाहनिवेशेषु, राजधानीनिवेशेषु, एतेषामेव विनाशेषु, अत्र खलु आसालिका संमूर्छति । जघन्येन अंगुलस्यासंख्येयभागमात्रया अवगाहनया वारेसु) चक्रवर्ती के स्कंधावारों-सेनानिवेशों में (वासुदेव खंधावारेसु) वासुदेव के स्कंघायारों में (बलदेव खंधावारेसु) बलदेव के स्कंधावारों में (मंडलियखंधावारेसु) मांडलिक राजा के स्कंधावारों में (महामंडलियखंघावारेसु) महामांडलिक के स्कंधावारों में (गामनिवेसेसु) ग्राम के निवेशों में (नगरनिवेसेसु) नगर सनिवेशों में (खेडसनिवेसेसु) खेटसन्निवेशों में (कञ्चडनिवेलेसु) कर्बट नामक वस्ती के निवेशों में (मडंबनिवेसेसु) मडम्ब निवेशों में (दोणमुहनिये लेसु) द्रोणमुख के निवेशों में (पट्टणनिवेसेलु) पट्टन के निवेशों में (आगरनिवेसेलु) आकर के निवेशों में (आसमनिवेसेसु) आश्रम के निवेशों में (संबाहनिवेसेसु) संबाध के निवेशों में (रायहाणीनिवेसेसु) राजधानी के निवेशों में (एएसि णं चेव विणासेसु) इन्हीं सब के विनाश में (एत्य णं आसालिया संमुच्छइ) यहां आसालिका का जन्म होता है। (जहण्णेणं) जघन्य से अंगुलस्स असंखेज्जइमागमेत्ताए ओगाहणाए) अंगुल के भूभियोमा (वाधायं पडुच्च) ०यघातथी (पंचसु महाविदेहेसु) पांय मडावडामा (चक्कवट्ठी खंधावारेसु) पति ना ४धवाशना निवेशामा (वासुदेवखंधावारेसु) पासुपना २४ धारामा (बलदेण खंधावारेसु) महेन। २४धवारोमा (मंडलिय खंधवारेसु) Hises २-याना २४ धारामा (महामंडलियखंधाबारेसु) मछ। भ3લિકના કંધાવામાં. (गामनिवेसेसु) श्राशुना निवेषोमा (नगरनिवेसेसु) नर सनिवेशमा (खेडसन्निवेसेस) मेट सनिवेशमा (कव्वडसंनिवेसेसु) ४वट नाम पस्तीना सनिवेशीमा (मडंबसंनिवेसेसु) म सन्निवेशोमi (दोणमुह निवेसेसु) द्रो मुमना निवेशमा (पट्टणनिवेसेसु) पशु निवेशमा (आगरनिवेसेसु) २॥४२॥ निवेशमा (आसमनिवेसेसु) माश्रमना निवेशामा (संबाहनिवेसेसु) साधना निवेशमा (रायहाणिनिवेसेसु) २४धानी निवेशमा (एएसि णं चेव निवेसेसु) 0 मयाना निवेशामा (एत्थणं आसालिया संमुच्छइ) महा मासासिन म थाय छे (जहण्णेणं) धन्यथा (अंगुलस्स असंखेज्जइभागमेत्ताओगाहणाह) मसना मसण्यातमा माग मात्रनी माना શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧
SR No.006346
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages1029
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size59 MB
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