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प्रज्ञापनासूत्रे कारः८ कुञ्जकः ९ तथा सिन्दुवारश्च १०॥१३॥ जाती ११ मोग्गरः १२ तथा यूथिका १३ च तथा मल्लिका१४ च वासन्ती १५ । वस्तुलः १६ कस्तुल:१७ शैवालः १८ ग्रन्थिः १९ मगदन्तिका २० चैव । ॥१४॥ चम्पकः २१ जीई २२ नीतिका २३ कुन्दः २४ तथा महाजातिः २५ । एवमनकाकारा भवन्ति गुल्मा ज्ञातव्याः ॥१५॥ ते एते गुल्माः ३।
टीका-अथ गुल्मभेदान् प्ररूपयितुमाह-'से किं तं गुम्मा ?' अथ के ते-कतिविधा इत्यर्थः, गुल्माःगुल्मपदवाच्याः-परस्परा सम्बद्धा वयवाः प्रज्ञप्ताः? भगवानाह'गुम्मा अणेगविहा पण्णत्ता' गुल्माः अनेकविधा:-नानाप्रकारकाः प्रज्ञप्ताः, तानेव बन्धुजीयक, (मणोज्जे) मनोद्य, (पियइं) पितिक, (पाण) पान, (कणयर) कणिकार, (कुज्जय) कुंजक, (सिन्दुवार) सिंदुवार, ___ (जाई) जाती (मोग्गर) मोगरा (जूहिका) यूथिका (तह) तथा (मल्लिया) मल्लिका, (य) और (वासंती) वासन्ती, (वत्थुल) वस्तुल, (कत्थुल) कस्तुल, (सेवाल) शैवाल, (गंठी) ग्रन्थि, (मगदतिया) मृगदन्तिका (चेय) और
(चंपग) चम्पक, (जीइ) जीती, (णीइया) नीतिका, (कुंद) कुन्द, (तहा) तथा (महाजाई) महाजाति, (एवं) इस तरह (अणेगागारा) अनेक प्रकार के (हवंति) होते हैं (गुम्मा) गुल्म (मुणेयव्या) जानने चाहिए। __ (से तं गुम्मा) यह गुल्म की प्ररूपणा हुई ॥२२॥
टीकार्थ-अब गुल्म के भेदों की प्ररूपणा करते हैं । प्रश्न है कि गुल्म कितने प्रकार के होते हैं ? भगवान् ने कहा-गुल्म अनेक प्रकार के कहे हैं। उन्हीं को गाथाओं द्वारा कहते हैं, वे इस प्रकार हैं-'सेणयए' (मणोज्जे) भनाध (पिइय) (4ती (पाणं) पान (कणयर) ४४१२ (कुज्जय) : (सिन्दुवार) सिन्दुवार (जाई) नात-- (मोग्गर) भाग। (जूहिका) यूथि। (तह) तथा (मल्लिया) मा (य) मन (वासंती) पासती (वत्थुल) यस्ता कत्थल) ४२तुर (सेवाल) सेवा (गंठी) अन्थी (मगदंतिया) भृगति। (चेव) भने (चंपग) ५४ (जीइ) ती (णीइया) नीती (कुन्द) छन्द (तहा) तथा (महाजाई) भाति (एवं) २ रीत (अणेगागारा) सने ५४१२ना (हवंति) हाय छ (गुम्मा) शुभ (मुणेयव्वा) anyan .
(से तं गुम्मा) २॥ शुभनी ५३५।
ટીકાથ-હવે ગુલમના ભેદની પ્રરૂપણ કરે છે. પ્રશ્ન એ છે કે ગુલ્મ કેટલા પ્રકારના હોય છે?
શ્રી ભગવાને કહ્યું–ગુલ્મ અનેક પ્રકારના કહ્યા છે. તેઓને ગાથાઓ દ્વારા
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧