________________
प्रज्ञापनासूत्रे जे संठाणओ आययसंठाणपरिणया ते वण्णओ कालवण्णपरिणयाविर, नीलवण्णपरिणयाविर, लोहियवण्णपरिणया वि३, हालिदवण्णपरिणया वि ४, सुकिल्लवपणपरिणया वि ५। गंधओ सुन्भिगंधपरिणया वि१, दुब्भिगंधपरिणया२। रसओ तित्तरसपरिणया वि१, कडुयरसपरिणया वि२, कसायरसपरिणया वि३, अंबिलरसपरिणयावि४, महुररसपरिणया वि५। फासओ कक्खडफासपरिणया वि१, मउयफासपरिणया वि२, गुरुयफासपरिणया वि३, लहुयफासपरिणया वि४, सीयफासपरिणया वि५, उसिणफासपरिणया वि६, णिद्धफासपरिणया वि ७, लुक्खफासपरिणया विटा२०।१००॥ सेत्तं रूवि अजीवपन्नवणा। सेत्तं अजीवपन्नवणा ॥सू० ९॥
छाया-ये संस्थानतः परिमण्डलसंस्थानपरिणता स्ते वर्णतः कालवर्णपरिणता अपि१, नीलवर्णपरिणता अपि२, लोहितवर्णपरिणता अपि३, हारिद्रवर्णपरिणता अपि४, शुक्लवर्णपरिणता अपि५। गन्धतः सुरभिगन्धपरिणता अपि१, दुरभिगन्धपरिणता अपि२। रसतस्तिक्तरसपरिणता अपि१, कटुकरसपरिणता अपि२,
शब्दार्थ-(जे) जो पुद्गल (संठाणओ) संस्थान की अपेक्षा से (परिमंडलसंठाणपरिणया) परिमंडल संस्थान परिणमनवाले हैं (ते) ये (वण्णओ) वर्ण से (कालवण्णपरिणया वि) काले वर्ण परिणाम वाले भी होते हैं (नीलचण्णपरिणया वि) नीले वर्ण परिणाम वाले भी होते हैं (लोहिययण्णपरिणया वि) लाल वर्ण परिणाम वाले भी होते हैं (हालिद्दवण्णपरिणया वि) पीले वर्ण परिणाम वाले भी होते हैं (सुक्किल्लवण्णपरिणया वि) शुक्लवर्ण परिणाम वाले भी होते हैं। (गंधओ) गंध से (सुन्भिगंधपरिणया वि) सुगंध परिणाम वाले
साथ-(जे) २ पुस (संठाणओ) संस्थाननी अपेक्षाय (परिमंडल संठाणपरिणयो) परिभ संस्थान ५२भव छ (ते) तय। (वण्णओ) पर्ण थी (कालवण्णपरिणया वि) जागना परिणामवाण ५५ छ. (नीलवण्णपरिणया वि) नीट (and) व परिणामवाण ५] छे. (लोहियवण्णपरिणया वि) are जना परिणामवाण ५४४ छ (हालिद्दवण्णपरिणया वि) पी। ना परिमाणां ५५ छ (सुक्किल्लवण्णपरिणया वि) शु४८ वर्ष परिणाम ५ मन छे.
(गंधओ) थी (सुब्भिगंधपरिणया वि) सुगध परिमाni ५ डाय
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧