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________________ प्रमेयबोधिनी टीका प्र. पद १ सू.८ रूपी अजीवप्रज्ञापना ११३ परिणता अपि२। रसतस्तिक्तरसपरिणता अपि १, कटुकरसपरिणता अपिर, कषायरसपरिणता अपि३, अम्लरसपरिणता अपि४, मधुररसपरिणता अपि५। स्पर्शतो गुरुकस्पर्शपरिणता अपि१, लघुकस्पर्शपरिणता अपि२, शीतस्पर्शपरिणता अपि ३, उष्णस्पर्शपरिणता अपि४, स्निग्धस्पर्शपरिणता अपि५, रूक्षसर्शपरिणता अपि ६। संस्थानतः परिमण्डलसंस्थानपरिणता अपि१, वृत्तसंस्थानपरिणता अपि२, व्यस्रसंस्थानपरिणता अपि३, चतुरस्त्रसंस्थानपरिणता अपि४, आयतसंस्थानपरिणता अपि ॥२३॥ ये स्पर्शतो गुरुकस्पर्शपरिणता स्ते वर्णतः कालवर्णपरिणता अपि१, नीलवर्णपरिणता अपि२, लोहितवर्ण परिणता अपि३, हारिद्रवर्णपरिणता अपि४, शुक्लवर्णपरिणता अपि५। गन्धतः सुरभिगन्धपरिणता अपि१, दुरभिगन्धपरिणता अपि। रसतस्तिक्तरसपरिणता अपि१, कटुकरसपरिणता अपि२, कषायरसपरिणता अपि३, अम्लरसपरिणता अपि४, मधुररसपरिणता अपि ५। स्पर्शतः कर्कशस्पर्शपरिणता अपि१, मृदुकस्पर्शपरिणता अपि२, शीतस्पर्शपरिणता अपि३, उष्णस्पर्श परिणता अपि स्निग्धस्पर्शपरिणता अपि५, रूक्षस्पर्शपरिणता अपि६। संस्थानतः (रसओ) रस की अपेक्षा से (तित्तरसपरिणया वि) तिक्तरस परिणामयाले भी हैं (कडयरसपरिणया वि) कटुकरस परिणामवाले भी है (कसायरसपरिणया वि) कषायरस परिणामयाले भी हैं (अंबिलरस परिणया वि) अम्लरस परिणामवाले भी हैं (महुररसपरिणया वि) मधुररस परिणमनवाले भी हैं। (फासओ) स्पर्श की अपेक्षा से (गरुयफासपरिणया वि) गुरुस्पर्श परिणामवाले भी हैं (लहुयफासपरिणया वि) लघुस्पर्श परिणामवाले भी हैं (सीयफासपरिणया वि) शीतस्पर्श परिणामवाले भी हैं (उसिणफासपरिणया वि) उष्ण स्पर्श परिणामवाले भी हैं (णिद्धफासपरि (रसओ) २सनी अपेक्षा (तित्तरसपरिणया वि) तित २स परिवाni पार छ (कडुयरसपरिणया वि) ४७१। २सन ५२भवाण ५९४ छ. (कसायरस परिणया वि) ४५।५ २६ परिणामयाजा ५५ छ. (अंबिलरसपरिणया वि) भाटा २सना परिमाणां पशु छे (महुररसपरिणया वि) मधु२ २२५ परिणामi y छ. (फासओ) २५शनी अपेक्षाये (गरुयफासपरिणया वि) शु३ २५श परिभाजi ५ छ (लहुयफासपरिणया वि) सधु २५ परिणामवाण छ (सीयफासपरिणया वि) शीत २५० परिमाण ५४ छ (उसिणफासपरिणया वि) St] २५ परिणाम ५५ छ (गिद्धफासपरिणया वि) स्नि५ २५श प्र० १५ શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧
SR No.006346
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages1029
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size59 MB
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