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________________ ११० प्रज्ञापनासूत्रे परिणया वि३; लहुयफासपरिणया वि४, सीयफासपरिणया वि५, उसिणफासपरिणया वि६ । संठाणओ परिमंडलसंठाणपरिणया वि१, वटुसंठाणपरिणया वि२, तंससंठाणपरिणया वि३, चउरंस संठाणपरिणया वि४, आययसंठाणपरिणया वि५।२३। जे फासओ लुक्खफासपरिणया ते वण्णओ कालवण्णपरिणया विर, नीलवण्णपरिणया वि२, लोहियवण्णपरिणया वि३, हालिदवण्णपरिणया वि४, सुकिल्लवण्णपरिणया वि५ । गंधओ सुब्भिगंध परिणया वि१, दुब्भिगंधपरिणया वि । रसओ तित्तरसपरिणया विर, कडुयरसपरिणया वि२, कसायरस परिणया वि३, अंबिलरसपरिणया वि४, महुररसपरिणया वि५ । फासओ कक्खडफासपरिणया वि१, मउयफासपरिणया विर, गुरुयफासपरिणया वि३, लहुयफासपरिणया वि४, सीयफास परिणया वि५, उसिणफासपरिणया वि६ । संठाणओ परिमंडलसंठाणपरिणया वि१, वहसंठाणपरिणया वि२, तंस संठाणपरिणया वि३, चउरंससंठाणपरिणया वि४, आययसंठाणपरिणया वि५|२३|| १८१॥ सू० ८॥ छाया - स्पर्शतः कर्कश स्पर्शपरिणता स्ते वर्णतः कालवर्णपरिणता अपि १, नीलवर्णपरिणता अपिर, लोहितवर्णपरिणता अपि ३, हारिद्रवर्णपरिणता अपि४, शुक्लवर्णपरिणता अपि ५। गन्धतः सुरभिगन्धपरिणता अपि १, दुरभिगन्धपरि शब्दार्थ - (जे) जो (फासओ) स्पर्श से (कक्खडफासपरिणया वि) कर्कश स्पर्श परिणमन वाले हैं (ते) वे (वण्णओ) वर्ण की अपेक्षा से ( कालवण्णपरिणया वि) काले वर्ण परिणाम वाले भी (नीलवण्णपरिणया वि) नीलेवर्ण परिणाम वाले भी (लोहियवण्णपरिणया) शब्दार्थ - (जे) भेो। (फासओ) स्पर्शथी (कक्खडफासपरिणया) १४ स्पर्श परिणामवाणां छे. (ते) तेथे (वण्णओ) वर्णुनी अपेक्षाओ ( कालवण परिणया वि) अणा रंगना परिणामवाणां पशु छे. (नीलवण्णपरिणया वि) वाहणी रंगना परिणाभवाणा पशु छे (लोहियवण्णपरिणय । वि) दास रंगना परिणाम શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧
SR No.006346
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages1029
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size59 MB
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