SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 716
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रमेयद्योतिका टीका प्र. ३ उ. ३ सू. ९६ कालोदसमुद्रनिरूपणम् ७०३ दारा पत्ता - गोयमा ! चत्तारि दारा पन्नत्ता - तं जहा - विजए वैजयंते जयंते अपराजिए' कालोदसमुद्रस्य खलु कतिद्वाराणि प्रज्ञप्तानि भदन्त ! भगवानाह - हे गौतम ! चत्वारि द्वाराणि विजय - वैजयन्त - जयन्ताऽपराजितानि प्रज्ञप्तानि । 'कहिणं भंते ! कालोदस्स समुद्दस्स विजए णामं दारे पन्नत्ते' कुत्र स्थाने खलु भदन्त ! कालोदसमुद्रस्य विजयं नाम द्वारं प्रज्ञप्तमास्ते भगवानाह - 'गोयमा ! कालोदे समुद्दे पुरत्थिमपेरं ते पुक्खरवरदीव पुरत्थिमद्धस्स पच्चत्थिमेणं सीयोदाए महाणईए उपि विजए णामं दारे पन्नत्ते' हे गौतम! कालोदसमुद्रे पूर्वान्तभागे पुष्कवरद्वीप पूर्वार्द्धस्य पश्चिमायां महानदी शीतोदाया ऊर्ध्वम् कालोदसमुकालोदसमुद्र के कितने द्वार कहें गये हैं उत्तर में प्रभु कहते हैं - हे गौतम ! 'चत्तारि दारा पन्नत्ता' कालोदसमुद्र के चार द्वार कहे गये हैं 'तं जहा ' जिनके नाम इस प्रकार से है- 'विजए, वैजयंते, जयंते, अपराजिए' विजय वैजयन्त जयन्त और अपराजित 'कहि णं भंते ! कालोदस्स समुदस्स विजये णामं दारे पण्णत्ते' हे भदन्त ! कालोदसमुद्र का विजयद्वार कहां पर कहा गया है 'गोयमा ! कालोदे समुद्दे पुरस्थिम पेरंते पुक्खरवर दीव पुरत्थिमद्धस्स पच्चत्थिमेणं सीतोदाए महानदीप उपि एत्थ णं कालोदस्स समुहस्स विजय णामं दारे पण्णत्ते' हे गौतम! कालोद समुद्र के पूर्वान्त भाग में जो पुष्कर वरद्वीप है उसके पूर्वार्ध से पश्चिम में सीतोदा महानदी ऊपर कालोदसमुद्र का विजय द्वार है 'अद्वेव जोयणाई तं चैव पमाणं' यह आठ योजन का ऊंचा है इत्यादि रूप से इसके सम्बन्ध का कथन जम्बूद्वीप के विजय સમુદ્રના કેટલા દ્વારા કહેલા છે ? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુશ્રી કહે છે કે-હે गौतम ! ' चत्तारि दारा पण्णत्ता' सोह समुद्रना थार द्वारा उडेवामां आवेद छे. 'तं जहा ' भेना नाम भी प्रमाणे छे- 'विजए, वेजयंते, जयंते, अपराजिए' विनय; वैभ्यन्त, नयन्त भने अयराकृत 'कहि णं भंते ! कालोदस्स समुदस्स विजए णामं दारे पण्णत्ते' हे भगवन् ! सोह समुद्रनु विन्न्य नामनु द्वारश्यां यावेस छे. 'गोयमा ! कालोदे समुद्दे पुरत्थिमपेर ते पुक्खरवर दीव पुरत्थिमद्धस्स पच्चत्थिमेणं सीतोदाए महानदीए उपि एत्थ णं कालोदस्स समुद्दस्स विजएणामं दारे पण्णत्ते' हे गौतम! असेहि समुद्रना पूर्वान्त लागमां ने पुष्डरवर द्वीप छे. તેના પૂર્વાથી પશ્ચિમમાં સીતેાદા મહાનદીની ઉપર કાલેાદ સમુદ્રનુ' વિજય नामनु' द्वार छे. 'अठेव जोयणाई तं चैव पमाणं' से या योजननी या વાળું છે. વિગેરે રીતે તેના સંબંધી કથન જખૂદ્વીપના વિજય દ્વારના કથન प्रमाणे सम सेवु'. 'जाव रायहाणीओ' यावत् राज्धानी सुधीनु उथन मडीया જીવાભિગમસૂત્ર
SR No.006345
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages1580
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size84 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy