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प्रमेयद्योतिका टीका प्र. ३. उ. ३ सू. ७५ नीलवंतादिह दनिरूपणम्
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एवम् उत्तरस्यां दिशायामपि ज्ञातव्यम् 'नवरं परमाणं भाणियव्वो' नवरं पद्मानां भणितव्यम् विजयदेव प्रकरणे भद्रासनानां संख्या कथिता किन्त्वत्र पदमानां संख्या वक्तव्या - एतदेवोभयो वैलक्षण्यं प्रकरणयोः इति । तदेवं मूलपद्मस्य त्रयः पद्मपरिवेषा अभूवन् । अन्येऽपि त्रयः परिवेषा विद्यन्ते तानाह - ' से पउमे' तत्खलु पद्म' 'अन्नेहिं तिहिं परमवरपरिक्खेवेहिं - अन्यैरनन्तरोक्त परिक्षेपत्रिक व्यतिरिक्तैः त्रिभिः पद्मपरिवेषैः 'सव्वओ समता संपरिक्खत्ते' - सर्वतः सर्वासु दिक्षु समन्ततः संपरिक्षिप्तं परिवेष्टितम् 'तं जहा ' तद्यथा - 'अभितरेणं' आभ्यन्तरेण 'मज्ज्ञिमए णं' मध्यमेन 'बाहरिएणं - बाह्येन च 'अभि तरणं पउमपरिक्खेवे' आभ्यन्तरे प्रथमे खलु पद्मपरिक्षेषे सर्व संख्यया'बत्तीसं पउमसयसाहरसीओ पन्नत्ताओ' द्वात्रिंशत्पद्मशतसहस्राणि द्वात्रिंशल्लहै । और पश्चिम दिशा में भी ४ हजार पद्म है । विजय देव के प्रकरण में जितनी संख्या भद्रासनों की कही गई है उतनी ही संख्या यहां पद्मासनों की - पद्म रूप आसनों की कह लेनी चाहिये, वस यही यहां विशेषता है। इस तरह यह मूल पद्म का यह पद्म परिवार तीन प्रकार का कहा है। इसके अतिरिक्त और भी तीन रूप का जो पद्म परिवार है वह इस प्रकार से है 'सेणं पउमे अन्नेहिं तिहिं पउमवर परिक्खेवेहिं सव्वओ समता संपरिक्खित्ते' यही बात इस सूत्र द्वारा प्रकट की गई है - इन में से एक पद्मपरिवार - 'अब्भितरेणं' बीच में है दूसरा पद्म परिवार 'मज्झिमएणं' मध्य में है और तीसरा पद्म 'बाहिरएणं' बाहिर में है यह पद्म परिवार परिधि के रूप में हैं । 'अभितर एणं परमपरिक्खेवे बत्तीसं पउमसयसाहस्सीओ पन्नत्ताओ' आभ्यन्तर परिधि में ३२ लाख कमल हैं । 'मज्झिमएणं पउमपरिक्खेवे
૪ ચાર હજાર પદ્મો છે. અને પશ્ચિમ દિશામાં ૪ ચાર હજાર પદ્મો છે. વિજય ધ્રુવના પ્રકરણમાં ભદ્રાસનેાની જેટલી સંખ્યા કહી છે, એટલી જ સંખ્યા અહીંયા પણ પદ્માસનાની છે. અર્થાત્ પદ્મ રૂપ આસનાની છે તેમ સમજી લેવુ'. એજ અહી. વિશેષતા છે. એ રીતે આ મૂલ પદ્મના આ પદ્મ પિર. વાર ત્રણ પ્રકારે કહેલ છે. તે શિવાય ખીજા પણ ત્રણ પ્રકારના જે પદ્મ પરિ वार छे ते या प्रमाणे छे. - ' सेणं पउमे अन्नेहि तीहि पउमवर परिक्खेवेहि सव्वओ समता संपरिक्खित्ते' ७५२ उडेवामां आवेल वात या सूत्रांश द्वारा सूत्रारे प्रगट उरे छे. तेभांथी परिवार 'अभिंतरेणं' वयमां छे. मीले यहूभपरिवार 'मज्झिमएणं' मध्यमां छे, भनेत्रीले यहूभपरिवार 'बाहिर महार छे. आ पहूभपरिवार परिधिये छे. 'अब्भिंतरएणं पउम परिक्खेवे बत्तीसं पउमसयसाहस्सीओ पन्नत्ताओ' माल्यन्तर परिधिमा ३२ मत्रीस
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જીવાભિગમસૂત્ર