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________________ प्रमेयद्योतिका टीका प्र. ३ उ. ३ सू. ५४ वनषण्डगत वाप्यादीनां वर्णनम् २७ 'मल्लिया मंडवगा' मल्लिकामण्डपकाः, मल्लिकाऽपि पुष्पलताविशेषरूपैव 'णवमालियामंडवगा' नवमालिकामण्डपकाः, 'वासंती मंडवगा' वासन्तीमण्डपकाः, वासन्ती पुष्पविशेषरूपा, 'दधिवासुया मंडवगा' दधिवासुकामण्डपकाः, दधिवासुका नाम वनस्पतिविशेषः, तन्मयामण्डपकाः, 'सूरिल्लीमंडवगा' सूरिल्लीमण्डपकाः सूरिल्लीकिल वनस्पतिविशेषस्तन्मया मण्डपकाः, 'तंबोली मंडवगा' तम्बूलीमण्डपकाः ताम्बूली - नागवल्ली तन्मया मण्डपकाः 'मुद्दियामंडवगा' मृद्वीकामण्डपकाः, मृद्वीका - द्राक्षा तन्मयामण्डपकाः, 'नागलयामंडबगा' नागलतामण्डपकाः नागो वृक्षविशेषः स एव लता नागलता, अत्र खलु यस्य तिर्यक् तथाविधा शाखाप्रशाखा न प्रसृता सा लतेत्यभिधीयते, नागलतामयमण्डपकाः, 'अतिमुत्तमंडवगा' अतिमुक्तकमण्डपकाः, अतिमुक्ताभिधो वृक्षस्तन्मया मण्डपकाः, 'अप्फेयामंडवगा' अप्फोयामण्डपका, अष्फोया वनस्पतिविशेषस्तन्मया मण्डपकाः, 'मालुया मंडगा' मालुकामण्डपकाः, मालुका : एकास्थिफला वृक्षविशेषास्तद्युक्ता मण्डपकाः, 'सामलयामंड़वगा' श्यामलतामण्डपकाः, श्यामलता - लताविशेषस्तन्मया वगा' वासन्तीलता के मंडप है 'दधिवासुयामंडवगा' अनेक दधिवासुकों के मंडप है ये दधिवासुक वनस्पतिविशेष है। 'रिलिमंडवगा' सूरिलिलनामक वनस्पतिविशेष के मंडप है 'तबोली मंडवगा' अनेक ताम्बूली- पानों की वेलों के मंडप है 'मुद्दियामंडवगा' अनेक मृद्धी का - द्राक्षा के मंडप है 'नागलयामंडवगा' अनेक नागलतारूप वृक्ष विशेष के मंडप है । अनेक 'अतिमुत्तमंडवगा' अतिमुक्तकलताओं के मंडप है | अनेक 'अष्फोयामंडवगा' अष्फोया नामकी वनस्पतिविशेष के मंडप है । 'मालयामंडवगा' अनेक मालुकाके मंडप है एक गुठली ही जिस फल में होती है उस फल वाले वृक्षका नाम मालुका है सहायेस भडयो छे, 'मल्लिया मंडवगा' भने महिला पुष्योनी वेसना भडयो छे. अर्थात् भोगराना पुष्पोथी सहायेस हुने छे. 'नवमालिया मंडवगा' नव भब्सिाना भडयो छे. ‘वासंतिम 'डवगा' वास' तिसताना मंडपो छे. 'दधिवासुया 'જીવ' અનેક દધિવાસુકાના મંડપો છે. આ દિધવાસુક એ એક પ્રકારની વનस्पतिनु' नाम छे. 'सूरिल्लि मंडबगा' सूरिसी नामनी वनस्पतिना भड्यो छे. तंबोलिमंडवगा' मने तांमुसोना-पाननी वेदना भडयो छे. 'मुद्दियामंडवगा' मने भुद्रि-हरामनी वेसोना भडयो छे. 'नागलयामंडवगा' भने नागसता नाभनी वनस्पतिना भडयो छे भने 'अतिमुत्त मंडवगा' अतिभुक्त वताना भडयो छे. 'अप्फोया मंडवगा' या नामनी वनस्पति विशेषना भडयो छे. 'मालुया मंडवगा' ने माना भांडयो छे से गोली ? इमा જીવાભિગમસૂત્ર
SR No.006345
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages1580
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size84 MB
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