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________________ प्रमेयद्योतिका टीका प्र. ३ उ. ३ सू. ६६ विजयदेवाभिषेकवर्णनम् ३२१ 'अप्पेगइया देवा अप्फोडंति' अप्येकका देवा आस्फोटयन्ति विलक्षणशब्दं कुर्वन्ति, 'अप्पेगइया देवा वगति' अप्येकका देवा वल्गन्ति हस्तिनादं नदन्ति, 'अप्पेगइया देवा तिपेंति - छिंदंति' अप्येकका देवाः तिष्यन्ति - छिन्दन्ति, 'अप्पेगइया देवाः अप्येकका देवाः 'अप्फोडंति वग्गति तिपेंति छिदेति' आस्फोटयन्ति वल्गतितिप्यन्ति - छिन्दन्ति - आस्फोटादीनि चत्वारि कुर्वन्तीत्यर्थः । 'अप्पेगइया देवा' अप्येककाः केचन देवाः 'हयहेसियं करेंति' हयान हेवा शब्दं कुर्वन्ति, 'हल्थिगुलगुलाइयं करेंति' हस्तिवत् गुङगुङइत्याकारकं शब्दं कुर्वन्ति, 'अप्पेगइया देवा 'रहघणघणाइयं करेंति' अप्येकका देवा रथस्य संचलने यादृशोऽव्यक्तः शब्दस्तबना लिया, मुंह से बाजों के जैसी ध्वनि भी की ताण्डव नृत्य भी किया और लास्यरूप नृत्य भी किया 'अप्पेगइया देवा अप्फोर्डेति' कितनेकदेवों ने उस समय विलक्षण प्रकार का शब्दोच्चारण किया 'अप्पेगइया देवा वग्गंति' कितनेक देवों ने उस समय हस्तिनाद चिंघाडनो के जैसी ध्वनि किया 'अप्पेगइया देवा तिपेंति छिंदंति' कितनेक देवों ने उस समय त्रिपदिका छेदन किया 'अप्पेगइया देवा अप्फोडेंति, वग्गंति, तिपेंति छिंदंति' कितनेक देवों ने उस समय विलक्षण प्रकारका शब्दोच्चारण भी किया हाथी के जैसी आवाज भी किया और त्रिषदिका छेदन भी किया 'अप्पेगइया देवा हयहेसितं करेंति अप्पेगइया देवा हत्थिगुलगुलाइयं करेंति' कितनेक देवों ने उस समय घोडे के हिनहिनाने के शब्दों का उच्चारणकिया, कितनेकदेवों ने उस समय हस्ती की तरह गुड गुड शब्द का उच्चारण किया 'अप्पेगइया देवा रहघणघणाइयं करेंति' कितनेक देवों ने उस समय रथ के चलने पर જાડા બનાવ્યા. મેઢેથી વાજાઓના જેવા અવાજ પણ કર્યાં, તાંડવ નૃત્ય પણ अर्यु', अने सास्य नामनु' नृत्य पशु र्यु'. 'अप्पेगइया देवा अप्फोडे ति' डेटसा देवाये थे वमते विसक्षणु प्रहारनो शहरयार यु'. 'अप्पेगइया देवा वग्गति' डेंटला हेवाओ मे समये हस्तिनाद सिंघाटना वी ध्वनी उरी 'अप्पेगइया देवा तिपेंति छिदंति' डेंटला हेवा मे समये त्रिपही छेहन यु अप्पे गइया देवा अप्फोडे ति, वग्गंति तिपेंति छिदेति' डेटला हेवा मे सभये વિલક્ષણ પ્રકારના શબ્દેોચ્ચારણ પણુ કર્યું હાથીના જેવા અવાજ પણ કર્યો मने त्रिपदीनु छेन पशु ' 'अप्पेगइया देवा हयहेसियं करें ति अप्पेगइया देवा हत्थिगुलगुलाइयं करे ंति' डेटला हेवाये ये सभये घोडाना नेवा हुडणाटवाना શબ્દોનું ઉચ્ચારણ કર્યું કેટલાક દેવાએ એ વખતે હાથીના જેવા ગડગડાટવાળા शब्दनु उभ्यारण र्यु' 'अप्पेगइया देवा रहघणघणाइयं करेति' डेटला हेवाये जी० ४१ જીવાભિગમસૂત્ર
SR No.006345
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages1580
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size84 MB
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