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जीवाभिगमसूत्रे भूपमिओ' द्वे द्वे भूतप्रतिमे, तथा - 'दो दो कुंडाधारप डिमाओ - द्वे द्वे कुण्डाधारप्रतिमे, ( कथंभूते इमे ) तत्राह - 'विणओवणताओ' विनयोपनते, 'पायपडियाओ - पादपतिते, 'पंजलिउडाओ प्राञ्जलिपुटे, 'संणिक्खिते चिद्वंति' - सन्निक्षिप्ते तिष्ठतः - सर्वात्मना रत्नमय्योऽच्छा आकाशस्फटिकवदति स्वच्छाः 'सण्हाओ' - श्लक्ष्णाः, 'लण्हा:, 'घट्टाओ - मट्टाओ' - घृष्टाः मृष्टाः 'णीरयाओ'नीरजस्का: 'णिष्पंकाओ' - निष्पङ्का 'जाव पडिरूवाओ' - निष्कण्टक च्छायाः सप्रभाः सोद्योताः समरीचिकाः प्रासादीया दर्शनीया अभिरूपाः प्रतिरूपा इति । 'तासि णं जिणप डिमाणं' - तासां खलु जिन प्रतिमानाम्, 'पुरओ असयं घंटाणं' अग्रभागेऽष्टाधिकं शतं घण्टानाम्, 'असयं चंदणकलसाणं - अष्टशतं चन्दनकलशानाम्, 'एवं असयं भिंगारगाणं' - अष्टशतं पूर्ववद् भृङ्गाराणाम्, 'एवं आयंसगाणं' एवमष्टशतम्, आदर्शकाणां-दर्पणानाम्, 'थालाणं' अष्टशतं स्थाविणयोवणयाओ पायवडियाओ पंजलिउडाओ सन्निक्खित्ताओ चित्ति' दो दो यक्ष प्रतिमाएं दो दो भूत प्रतिमाएं एवं दो दो कुण्डधार प्रतिमाएं विनय से युक्त हुई, पैरों में पतित हुई हाथ जोडे हुए खडी हुई है 'सव्वरयणामइओ अच्छाओ, सण्हाओ लण्हाओ घट्टाओ, महाओ, णीरयाओ, णिष्पंकाओ जाव पडिवाओ' ये सब प्रतिमाएं सर्वात्मना रत्नमय हैं आकाश और स्फटिक मणि के जैसी निर्मल है लक्षण हैं घृष्ट है, मृष्ट है, नीरजस्क है, निष्पङ्क हैं एवं यावत् प्रतिरूप है । 'तासिणं जिणपरिमाणं पुरओ अट्टमयं घंटाणं असयं चंदणकलसाणं' इन जिन प्रतिमाओं 'कामदेव की प्रतिमाओं के समक्ष १०८ घटाएं है | १०८ चंदन कलश हैं ' एवं अट्ठसयं भिंगारगाणं एवं आर्यसगाणं थालाणं' इसी तरह से १०८ भृङ्गारक - झारी - हैं । १०८ आद'दो दो अक्खपडिमाओ दो दो भूतपडिमाओ दो दो कुंडाधारपडिमाओ विणयोयणया ओ पायवडियाओ पंजलिउडाओ सन्निक्खित्ताओ चिट्ठति' जम्मे यक्ष प्रतिभाओ ખખ્ખુ ભૂત પ્રતિમા અને અબ્બે કુંડધાર પ્રતિમાએ વિનય પૂર્ણાંક પગેામાં पडती होय तेभ हाथ लेडीने उले छे. 'सव्वरवणामइओ अच्छाओ सहाओ लाओ घट्टाओ मट्ठाओ णीरयाओ णिष्पंकाओ जाव पडिरुवाओं मे प्रतिभागी સર્વાત્મના રત્નમય છે. આકાશ અને સ્ફટિક મણિના જેવી નિળ છે. શ્લક્ષ્ छे, घृष्ट छे, भ्रष्ट छे, नी२४२५ छे; निष्य' छे अने यावत्प्रति ३५ छे. 'तासिणं जिणपडिमाणं पुरओ असयं घंटाणं अट्ठसयं चंद्णकलसाणं' से न પ્રતિમાએની સામે ૧૦૮ એકસો આઠ ઘટાએ છે. ૧૦૮ એકસા આઠ यद्दन उसशी छे 'एवं अट्ठसयं भिंगाराणं एवं आयंसगाणं थालाणं' भेट रीते
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જીવાભિગમસૂત્ર
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