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जीवाभिगमसूत्रे
बाहल्लेणं'- अर्धयोजनं - धनुः सहस्रप्रमाणं वाहल्येन 'सव्वमणिमई जाव अच्छा पडिरूवा' - सर्वरत्नमयी यावद् अच्छा: श्लक्ष्णा घृष्टा मृष्टा निर्मला नीरजस्का निष्पङ्का निष्कण्टकच्छायाः सप्रभाः सोद्योताः प्रासादीया दर्शनीया अभिरूपाः प्रतिरूपाः 'ती से गं मणिपेढियाए उपि' - तस्याः खलु मणिपीठिकायाः उपरितनभागे, 'एग महं खुड्डए महिंदज्झए पन्नत्ते' - एकः क्षुल्लको लघुर्महेन्द्रध्वजः प्रज्ञप्तः कथितः, स चमरेन्द्रध्वजः - 'अट्टमाई जोयणाई उडूं उच्चतेणं' - अर्थाष्टमानिसार्धसप्तयोजनानि - ऊर्ध्वमुच्चैस्त्वेन, 'अद्धकोसं उच्वेहेणं' धनुःसहस्रमानमितसुधेनाsधोभागास्थितमानेन, 'अद्धकोसं विक्खभेणं' विष्कम्भेण विस्तारदृष्टयाSपि तावदेवार्धक्रोशम्, 'बेरुलियामयवट्टलट्ठसंठिए' - वैडूर्यमय वृत्तलष्ट संस्थितः सुश्लिष्ट घृष्ट मृष्ट सुप्रतिष्ठितोऽनेकवरपञ्चवर्ण कुडभी सहस्रपरिमण्डिताऽभि
भेगं' लम्बाई चौडाई में एकयोजनकी है और 'अद्वजोयणं बाह लेणं' मोटाई में आधेयोजन की है 'सव्वमणिमई जाव अच्छा पडिरूवा' यह मणिपीठिका पूर्णरूप से रत्ननिर्मित हैं यावत् आकाश और स्फटिकमणि के जैसी निर्मल है । एवं यावत् प्रतिरूप है यहां यावत् शब्द से 'इलक्ष्णा' आदि पदों का ग्रहण हुआ है । 'तीसेणं मणिपीठि - या उप' इस मणिपीठिका के ऊपर 'एगे खुड्डिए महिंदज्झए पन्नत्ते' एक छोटी सी महेन्द्रध्वजा और है 'अद्धट्टमाई जोयणाई उडुं उच्चत्तेणं' यह महेन्द्रध्वज साढे सात योजन का ऊंचा है । 'अद्धकोसं उच्वेहेणं' और इसका उद्वेध आधेकोस का है । अर्थात् नीचे जमीन में इसका प्रमाण १ हजार धनुष का है । 'अद्धकोसं विक्खंभेणं' इसका विष्कंभ आधेकोश का है । 'वेरुलिया मय वट्ठलट्ठ संठिए' यह वज्ररत्न का बना हुआ है गोल आकार का है चिकना है यहां इसके वर्णन में, सुश्लिष्ट
मविक्खंभेणं' समाई होणाभां मे योनी छे भने 'अद्धजोयणं बाहल्लेणं' भोटाईमां मर्धा योजननी छे. 'सव्वमणिगई जाव अच्छा पडिरूवा' मा भणिपीडि સપૂર્ણ રીતે રત્નથી બનાવેલ છે. અને આકાશ અને સ્ફટિક મણિના જેવી निर्माण छे. तथा यावत्प्रति३य छे. अहींयां यावत्शब्द थी 'श्लक्ष्णा' विगेरे यह। श्रहुणु उराया छे. 'तीसे णं मणिपेढियाए उप्पिं' से भणिपीडनी उपर 'एंगेखुड्डिए माहिंदज्झए पन्नत्ते' से मील नानी धन छे. 'अद्धट्टमाई जोयणाई उडूढं उच्चत्तेणं या माहेन्द्र धन्न जो सोडा सात योजननी अंथी छे. 'अद्धकोसं उवेहेणं' ने तेनो उद्वेध अर्धा असतो हे अर्थात् नीये भीनमां तेनु प्रभाणु १ मेड इन्नर धनुषनुं छे. 'अद्धकोसं विक्खंभेणं तेनेो विष्डल अर्धा अपना छे. 'वेरुलिया मयवट्टलसाठए' से १२त्ननो अनेस छे, गोज मारने
જીવાભિગમસૂત્ર