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प्रमेयद्योतिका टीका प्र.३ उ.३ सू.६० विजयायाः चतुर्दिक्षु वनषण्डादिकनि० १७५ मेत्तेहि' अन्यैश्चतुर्भिस्तदर्बोच्चप्रमाणमात्र, 'पासायवडेंसएहि' प्रासादावतंसकैः 'सवतो समंता संपरिक्खित्ता' सर्वतः सर्वासु दिक्षु समन्ततः सर्वत्र संपरिक्षिप्ताः निवेशिताः ॥ 'तेणं पासायवडिंसगा' ते खलु प्रासादावतसकाः, 'देसूणाई अट्ठजोयणाई उड्डू उच्चत्तेणं' देशोनानि अष्ट योजनानि ऊदध्वमुच्चत्वेन, 'देसूणाई चत्तारि जोयणाई आयामविक्खभण' देशोनानि चत्वारि योजनानि आयामविष्कम्भेण, 'अब्भुग्गय०' अभ्युद्गतोत्सृतप्रहसित इत्यादि, 'भूमिभागा' आलिंग पुक्खर-इत्यन्त भूमिभागवर्णनम्, 'उल्लोया भदासणाई' उल्लोकाः भद्रासनानि, 'उवरिं मंगलगा भूया छत्ताइछत्ता' भद्रासनोपरि अष्ट मङ्गलकानि स्वस्तिकादीनि सवओ समंता संपरिक्खित्ता' ये प्रासादावतंसक अन्यचार प्रासादावतंसकों से कि जिनकी ऊंचाई उन चार प्रासादावतंसकों से आधी है, चारों ओर से घिरे हुए हैं । 'तेसिणं पासायाणं अट्ठमंगलभूयाछत्ताइछत्ता' इन प्रासादावतंसकों के आगे आठमंगलद्रव्य है और छत्रातिछत्र है। 'ते णं पाासायडिंसगा देखणाइं अट्ठजोयणाई उडूं उच्चत्तेणं' ये प्रासादावतंसक कुछ कम आठ योजन की ऊंचाई वाले है । 'देसूणाई चत्तारि जोयणाई आयामविक्खंभेणं' तथा कुछ कम चार योजन के लम्बे चौडे हैं 'अभुग्गय०' इससे ऐसा ज्ञात होता है कि मानों ये आकाश को ही छू रहे हैं। 'भूमिभागा आलिंगपुक्खर' यहां के भूमिभाग इस सूत्र के अनुसार 'आलिंगपुष्कर के जैसे हैं इस रूप से वर्णन कर लेना चाहिये 'उल्लोया भद्दासणाणि' यहां उल्लोकों का एवं भद्रासनों का भी कथन करलेना चाहिये 'उरि मंगलगा भूया छताइछत्ता' संपरिक्खित्ता' २॥ प्रासाहीवत स। मीत या२ प्रासादायत थी लेनी या એ ચાર પ્રાસાદાવતંકથી અધેિ છે. તેનાથી ચારે બાજુ એ ઘેરાયેલા છે. 'तेसिणं पासायाणं अदृटुमंगलभूया छत्ताइ छत्ता' से प्रासाहात सोनी PM 213 मदर द्रव्यो ४ा छ. मने छाति छत्री छ. 'तेणं पासायवडिं सगा देसूणाई अट्ठजोयणाई उड्ढउच्चत्तेणं' से प्रासात सौ ४ माछ। २४ योननी या वाण छ. 'देसूणाई चत्तारि जोयणाइ अयामविक्ख भेणं' तथा ४७४ छ। या२ योननी 5 पाडवा छ. 'अब्भुग्गय० ॥ ५४थी मेम २४५॥ छे से प्रासादायतस बनणे माशिनी२५श ४री २॥ छ. 'भूमिभागा आलिंगपुक्खर' मा सूत्र पाना ४थन प्रमाणे त्यांनी भूमिमा 'आलिंग पुक्खरे इया' ५०४२॥ वो छ. २१॥ तनु पर्जुन ४री से ये 'उल्लोया भद्दासणाणि' महीयi Sea मने मद्रासनानुन ४री नसे
જીવાભિગમસૂત્ર