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प्रमेयद्योतिका टीका प्र.९ सू. १३९ दशविध सं० स० जीवनिरूपणम् १३२५ उद्धृत्यैकेन्द्रियभवप्रथमसमये वर्तमानास्ते स्तोका एव पञ्चन्द्रियास्तु-अप्रथमसमयवर्तिनश्चिरकालावस्थितया गतिचतुष्टयेऽतिप्रभूताः ततोऽसंख्येयगुणाः । 'अपढमसमय चउरिंदिया विसेसाहिया' ततोऽप्रथमसमयचतुरिन्द्रिया विशेषाधिकाः यतोऽप्रथमसमय द्वीन्द्रिया विशेषाधिकाः। ततश्च-'अपढमसमय एगिदिया अणंतगुणा' तेभ्यः अप्रथमसमयैकेन्द्रिया अनन्तगुणाः वनस्पतीनामनन्तत्वात् इति । ___ उपसंहारः- से तं दसविहा संसारसमावन्नगा जीवा पन्नत्ता' त एते समयवर्ती जो पंचेन्द्रिय जीव है वे असंख्यातगुणं अधिक हैं । अप्रथम समयवर्ती एकेन्द्रिय जीव द्वीन्द्रियादिकों से निकल कर एकेन्द्रियभव के प्रथम समय में जो वर्तमान होते हैं वे कम ही हैं परन्तु अप्रथम समयवर्ती जो पंचेन्द्रिय जीव हैं वे चिरकालावस्थायी होने से चारों गतियों में बहुत अधिक होते हैं । इसलिये इन्हें असंख्यातगुणें अधिक कहा गया है 'अपढमसमय चउरिदिया विसेसाहिया' इनकी अपेक्षा जो अप्रथम समयवर्ती चौइन्द्रिय जीव हैं वे विशेषाधिक है। इनकी अपेक्षा अप्रथम समयवर्ती जो तेइन्द्रिय जीव हैं वे विशेषाधिक हैं। इनकी अपेक्षा जो 'अपढम समय तेइंदिया विसेसाहिया' अप्रथम समयवर्ती तेइन्द्रिय जीव हैं वे विशेषाधिक हैं। इनकी अपेक्षा जो अप्रथम समयवर्ती द्वीन्द्रिय जीव हैं वे विशेषाधिक हैं। इनकी अपेक्षा 'अपढम समय एगिदिया अणंतगुणा' जो अप्रथम समयवर्ती एकेन्द्रिय जीव हैं वे अनन्तगुणें अधिक हैं। क्योंकि वनस्पतिकायिक अनन्त mTM’ અપ્રથમ સમયવતી જે પંચેન્દ્રિય જીવ છે, તેઓ અસંખ્યાતગણા વધારે છે. અપ્રથમ સમયવતી એક ઈદ્રિયવાળા જીવો દ્રીન્દ્રિય વિગેરે જીવોમાંથી નીકળીને એકેન્દ્રિય ભવના પ્રથમ સમયમાં જે વર્તમાન હોય છે. તેઓ ઓછાજ છે. પરંતુ અપ્રથમ સમયવતી જે પંચેન્દ્રિય જીવો છે, તેઓ ચિરકાળ પર્યન્ત રહેવાવાળા હવાથી ચારે ગતિમાં ઘણું વધારે હોય છે. તેથી तमान मसण्यात पधारे हुवामां आवे छे. 'अपढमसमयचउरि दिया विसेसाहिया' तना ४२तां प्रथम समयवती रे यार ४द्रियवाणी . તેઓ વિશેષાધિક છે. તેના કરતાં અપ્રથમ સમયવતી જે તે ઈદ્રિય જીવ છે तेमा विशेषाधि छ. तेना ४२त 'अपढमसमय तेइंदिया विसेसाहिया' २५ પ્રથમ સમ્યવતી જે તે ઈદ્રિય જીવે છે તે વિશેષાધિક છે. તેના કરતાં આ प्रथम समयवती' दीन्द्रिय ७१ जे ते विशेषाधि४ छ. तेना ७२तi 'अपढम समय एगिदिया अणंतगुणा' मप्रथम समयवती ने भेन्द्रिय ७१ छ त।
જીવાભિગમસૂત્ર