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जीवाभिगमसूत्रे स्त्राभरणाः स्वभाभिः दशदिशा उद्द्योतयन्तःप्रभासयन्तः प्रकाशयन्तःप्रासादिका दर्शनीया अभिरूपा प्रतिरूपा भवन्ति । 'तत्थ जे ते अवेउव्वियसरीरा ते णं आभरणवसनरहिया पगतित्था विभूसयाए पन्नत्ता' तत्र ये तेऽक्रियशरीरास्ते खल आभरणवसनाभ्यांखहिताः प्रकृतिस्था विभूषाभिः प्रज्ञप्ताः । 'सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु देवीओ केरिसयाओ विभूषाभिः पन्नत्ताओ ?' सौधर्मेशानकल्पयोः खलु भदन्त ! याः सन्ति देव्यस्ता विभूषाभिः कीदृश्यः प्रकीर्तिताः ? भगवानाह-'गोयमा ! दुविहाओ पन्नत्ताओ तं जहा-वेउब्वियसरीराओ य अवेउव्विय वह हार विराजित है वक्षस्थल जिसके ऐसाहोता है और वह अपनी प्रभाओं से दश दिशाओं को उद्योतित करता हुआ उन्हें प्रभासित करता हुआ यावत् प्रतिरूप होता है यह शरीर सुन्दर होते हैं तथा सदा कुण्डलों से सुन्दर उत्तमोतम मालाओ से और सुन्दर २ दिव्य वस्त्रों से तथा आभरणों से सुसज्जित रहता है अतएव यह प्रासादिक, दर्श नीय एवं अभिरूप होता है और जो अवैक्रिय शरीर होता है वह आभरण वसन से रहित होता है और प्रकृतिस्थ होता है अतः इसकी शोभा स्वाभाविकी होती है विभूषाजन्य नहीं होती है यही वात 'तत्थणं जे ते अवेउव्वियसरीरा तेणं आभरणवसणरहिता पगतित्था विभूसाए पण्णत्ता' इस सूत्र पाठ से कही हैं । सोहम्मीसाणेसु णं कप्पेसु देवीओ केरिसयाओ विभूसाए पण्णत्ताओ' हे भदन्त ! सौधर्म और ईशान कल्पों में देवियां विभूषा से कैसी लगती हैं ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं'गोयमा ! दुविहाओ पण्णत्ताओ' हे गौतम ! इनका शरीर दो प्रकार તેમાં જે વૈકિય શરીર હોય છે, તે હાર વિરાજીત છે. વક્ષસ્થળની જેમાં એવા હોય છે. અને તે પિતાની પ્રભાથી દશ દિશાને પ્રકાશિત કરતા થકા તેને ઉદ્યોતિત કરતા થકા યાવત્ પ્રતિ રૂપાય છે. તેમના શરીરે સુંદર કુંડળેથી સુંદર ઉત્તમોત્તમ માળાઓથી અને સુંદર દિવ્ય એવા વસ્ત્રોથી તથા આભૂષણથી સુસજજીત રહે છે. તેથી તે પ્રાસાદિક દશનીય અભિરૂપ અને પ્રતિ રૂપ હોય છે. અને જે અવૈકિય શરીર હોય છે તે આભૂષણો, વસ્ત્રો વિનાના હોય છે. અને પ્રકૃતિ હોય છે. તેથી તેની શોભા નૈસગિકી–સ્વાભાવિક डाय छे. विभूषाथी भनेर शाम तभनी हाती नथी । पात 'तत्थ णं जे ते अवेउव्वियसरीरा तेणं आभरणवसणरहिता पगतित्था विभूसाए पण्णत्ता' मा सूत्रपा द्वारा प्रगट ४२वामा मावेश छ. 'सोहम्मीसाणेसु ण भंते ! कप्पेसु देवीओ केरिसियाओ विभूसाए पण्णत्ताओ' ले मावन् सौधम सने शान કમાં દેવિ શણગારથી કેવી લાગે છે? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુશ્રી
छ 'गोयमा ! दुविहाओ पण्णत्ताओ' गौतम ! तेमना शरी। में
જીવાભિગમસૂત્ર