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प्रमेयद्योतिका टीका प्र. ३. उ. ३ सू. १२९ देवविमान पृथिव्याः बाहल्यादिकम् १०६३ स्त्वेन ? गौतम ! पञ्चर्यो जनशतानि० प्रज्ञप्तानि । 'सणं कुमारमाहिंदेसु छ जोयण सयाइ" सनत्कुमारमाहेन्द्रयोस्तु षड् यजनशतानि विद्धि । 'बंभलंतरसु सत्त' ब्रह्मलान्तकयोः सप्तर्यो जनशतानि ऊर्ध्वमुच्चैस्त्वेन विजानीहि । 'महामुकसहसारे अ' महाशुकसहस्रारकल्पयोर्विमानान्यष्टौ यौं जनशतानि बाहल्येन - प्रज्ञतानि इति । 'आणयपाणएस ४ नव' आनतप्राणताऽऽरणाऽच्युतकल्पेषु विमा - नानि नवयोजनशतान्यूर्ध्वमुच्चैस्त्वेन प्रज्ञप्तानि । 'गेवेज्जविमाणा णां भंते ! केवइयं उर्दू उच्चतेणं० दसजोयणसयाई ग्रैवेयकविमानानि कियन्त्यूर्ध्वमुच्चै - स्त्वेन ? भगवानाह - दशर्योजनशतानि गौतम ! 'अनुत्तरविमाणाणं एक्कारस
गौतम ! सौधर्म और ईशान इन कल्पों में विमान की ऊंचाई पांच सौ योजन की है 'सणकुमारमा हिंदेसु छजोयणसयाई' सनत्कुमार और महेन्द्र में विमानों की ऊंचाई ६ सौ योजन की है 'बंभलंत सु सत्त' ब्रह्म और लान्तक कल्पों में विमानों की ऊंचाई सात सौ योजन की है 'महासुक्क सहस्सा रेसु अट्ट' महाशुक और सहस्रार कल्पों में विमानों की ऊंचाई आठ सौ योजनों की है 'आणय पाणयएस ४ नव' आनत प्राणत आरण अच्युत इन चार कल्पों में विमानों की ऊंचाई ९ सौ योजन की है 'गेविज्ज विमाणाणं भंते ! केवइयं उर्दू उच्चते' हे भदन्त । ग्रैवेयक विमानों की ऊंचाई कितनी है ? 'दसजोयणसाई' हे गौतम! ग्रैवेयक विमानों की १० सौ योजन की है 'अणुत्तरविमाणाणं एक्कारस जोयणसयाई उड्डुं उच्चत्तेणं' अनुत्तर
जोयणसयाई उड्ढं उच्चत्तेण' हे गौतम! सौधर्म भने ईशान नाभना थे मे उदयोगां विभानोनी या पांयसो योजननी उहेस छे. 'सणंकुमारमाहिदेसु छ जोयणसयाई' सनत्कुमार भने महेन्द्र उदयभां विभानोनी या ६०० छसो योजननी छे. 'बंभलंतएस सत्त' ब्रह्म भने सान्त उस्योमां विमानानी या सातसो योजननी छे. 'महा सुकसहस्सा रेसु अठ्ठे' महाशु અને સહસ્રાર નામના ક૨ેામાં વિમાનાની ઊંચાઈ આઢસા ચેાજનની છે. 'आणयपाण ४' मानत आणुत, आरण अने अभ्युत या यार उदयोगां विभानानी या ८०० नव सेो येोजननी छे. 'नव गेवेज्जविमाणाणं भंते !
केवइयं उड्ढ उच्चत्तेणं' हे भगवन् ! नव चैवेय डेंटली उडेवामां आवे छे ? 'दसु जोयणसयाई' વિમાનાની ઉંચાઇ ૧૦ દસ योजननी आहेस छे. जोयणसयाई उड्ढ उच्चतेणं'
नामना विमानानी या
हे गौतम ! नव चैवेय 'अणुत्तरविमाणाणं एक्कारस अनुत्तर विभानानी या ११ अगीयारसो
જીવાભિગમસૂત્ર