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प्रमेयद्योतिका टीका प्र.३ उ.३ सू. ११९ शक्रादिदेवानां परिषदादिनि० १०२५ तरियाए परिसाए देवीणं तिन्नि पलिओवमाई ठिई पन्नत्ता मज्झिमियाए दुन्निपलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता बाहिरियाए परिसाए एगं पलिओवमं ठिई पन्नत्ता अट्ठो सो चेव जहा भावणवासीणं से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ सकस्स देविंदस्स देवरन्नो तओ परिसाओ०' अथाऽत्र देवीनां स्थितिः शक्रस्याऽऽभ्यन्तरिकायांमध्यमिकायां-बाह्यायां च पर्षदि त्रीणि पल्योपमानि-द्वे पल्योपमे-एकश्च पल्योपमं स्थितिकालः । अर्थः स एव यथा भवनवासिदेवानाम् तत्केनार्थेन भदन्त ! एवमुच्यते शक्रस्य देवेन्द्रस्य देवराजस्य तिस्रः पर्षदः इत्यादि यथा चमरवक्तव्यतायां सकलसूत्रं वक्तव्यम् । 'कहि णं भंते ! ईसाणकाणं देवाणं विमाणा पन्नत्ता ? तहेव सव्वं जाव ईसाणे एत्थ देविंदे देव. जाव विहरइ' कुत्र खलु भदन्त ! ईशानकानां देवानां विमानानि ? कुत्र च ईशाना देवाः परिवकी स्थिति तीन पल्योपम की है 'देवीणं ठिई देवियों की स्थिति इस प्रकार से है 'अभितरियाए परिसाए देवीणं तिन्नि पलिओवमाई ठिई पन्नत्ता' आभ्यन्तर परिषदा की देवियों की स्थिति तीन पल्योपम की कही गई है मज्झिमियाए दुन्नि पलिओवमाई ठिई पन्नत्ता' मध्यपरिषदा की देवियों की स्थिति दो पल्योपम की कही गई है 'बाहिरियाए परिसाए एग पलिओवम ठिई पण्णत्ता' बाह्यपरिषदा की देवीयों की स्थिति एक पल्योपम की कही गई है 'अट्ठो सो चेव जहा भवणवासीणं" भवनपतियों के जैसा ही बाकी का और सब कथन यहां पर कह लेना चाहिये 'कहिणं भाते ! ईसाणकाणं देवाणं विमाणा पण्णत्ता' हे भदन्त ! ईशान देवों के विमान कहां पर कहे गये है ? उत्तर में प्रभु कहते हैं 'तहेव सव्वं जाव ईसाणे एत्थ देविंदे देव० जाव विहरइ' हे गौतम ! इस सम्बन्ध में समस्त वक्तव्यता सौधर्म की वक्तव्यता जैसी छ, 'देवीणं ठिई' वियोनी स्थिति ॥ प्रमाणे छ-'अभिंतरियाए परिसाए देवीणं तिन्नि पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता' मास्यत२ परिषहानी वियोनी स्थिति त्र] पक्ष्योपभनी छे. 'मज्झिमियाए दुन्नि पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता' मध्यम परिपहानी वियोनी स्थिति में ५८यो५मनी ४ाम मावेस छ. 'बाहिरियाए परिसाए एगं पलिओवमं ठिई पण्णत्ता' या परिषहानी हेपियोनी स्थिति से पक्ष्योपभनी छ. 'अट्ठो सो चेव जहा भवणवासीणं' भवन पतियोना थन प्रमाणे माजीनु तमाम. ४थन मडीयो ही ले . 'कहिणं भंते ! ईसाणकाणं देवाणं विमाणा पण्णत्ता' हु भगवन् ! शान वाना विभानी यां
॥ छ ? २॥ प्रश्न उत्तरमा प्रभुश्री ४९ छ -'तहेव सव्वं जाव ईसाणे एत्थ देवि दे देवराया जाव विहरइ' हे गौतम ! २. विषयमा सघ ४थन
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જીવાભિગમસૂત્ર