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प्रमेयद्योतिका टीका प्र. ३ उ. ३. सू. ५३ वनपण्डादिकवर्णनम्
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यत् श्रोत्रेन्द्रियस्य शब्द स्पर्शनमतीव सुखमुत्यादयति; सुकुमारमिव च प्रतिभासते तत् सुललितम् ८ इति । गुंजतवंसकुहरोवगूढं' गुञ्जद्वंशकुहरो पगूढम् । गुञ्जायमानवंशकुहरे 'वांशुरी' प्रसिद्ध कुहरे मुखवायुना गुञ्जिने वंशशुषिरे उपगूढ लीनं तत्सदृशमित्यर्थः । इदानीमेतेषामेवाष्टगुणानां मध्ये कियतो गुणान् तदन्यच्च प्रतिविषादयिषुरिदमाह - 'र' इत्यादि, 'रतं तित्थाणकरणसुद्ध महूरं समं सुलन्द्रियको उस शब्द का स्पर्श सुखद हो वह सुललित कहा जाता है ८, इन आठ गुणों वाले गेय को 'गुंजतवंसकुहरो वगूढं ' वांसुरी में तीन सुरीली आवाज सदृशगाये गये गेय को 'रत्तंतित्थाणकरण सुद्धं' गाने के राग से अनुरक्त हुए गेयको त्रिस्थानकरणसे उरः कंठ शिर इन इलेष्मवर्जित अव्याकुलित तीन स्थानों से शुद्ध हुए गेयको 'महुरसमं सुललिये' मधुर सम-तालवंश स्वर आदि समनुगत सुललित इन गुणों वाले गेयको 'सकुहरगुंजतवंसतंती सुसंपउत्तं' जिसगान में एक तरफ तो वंशी बजायी जा रही हो और दूसरी और तन्त्री बजायी जा रही हो - इनके स्वर से जो गान विरुद्ध हो-ठीक इनके स्वरों के साथ मिलता हुवा गाया जा रहा हो ऐसे गेय को 'तालसुसंपउत्तं' हस्तताल के स्वर के अनुसार गाये गये गेय को 'तालसमं लयसुसंपत्तं गह सुसंपउत्तं' ताल समताल के अनुसार लयसंप्रयुक्त, सींग आदिके वने हुए अंगुलीकोष से बजाई जाने वाली वीणा के स्वर प्रकार से युक्त ग्रह संप्रयुक्त ऐसे गाने को 'मनोहर' मन को हरण करने वाले
શબ્દને સ્પર્શી સુખદ હાય તે સ્વર સુલલિત કહેવાય છે. ૮, આ આઠ ગુણે वाजा गेयने 'गुंजतवंसकुहरोवगूढं' वांसजी मां लीन सुरीक्षा भवान्थी गावाम यावेस गेयने 'रत्तं तित्थाण करणसुद्ध' गावाना रागथी अनुरक्त थयेला गेयने ત્રિસ્થાન કારણથી ઉરઃકંઠ; શિર આ શ્લેષ્મ રહિત અવ્યાકુલિત ત્રણ સ્થાનેથી शुद्ध थयेला गेयने 'महुरसम' सुललियं ' मधुर, सभ, तावश स्वर माहिथी समनुगत सुदक्षित या मधा गुणेोवाणा गेयने 'सकुइरगुंजत संपत्तं ' गानमा खेड तर तो वांसजी वगाडवासां भावती होय भने બીજી તરફ તન્ત્રી વગાડવામાં આવતી હેાય, તેના સ્વરથી જે ગાન વિરૂદ્ધ હાય मेवा जेयने 'तालसुसंपउत्तं' हस्त तासनास्वर प्रभा गावामां आवे गेयने 'तालसमं लयसुसंपत्तं गहसुसंपउत्त" ताससम, तास अनुसार सयस प्रयुक्त સીંગ વિગેરેના બનાવેલા અંગુલી કાષથી વગાડવામાં આવનારી વીણાના સ્વર अमरथी युक्त असं प्रयुक्त सेवा जानने 'मनोहर' भनने भोहित नार गेयने 'मउय रिभियपदसँचार' भृहु, रिलित, स्व२ प्रमाणे तंत्री विगेरेथी
જીવાભિગમસૂત્ર