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________________ ८७२ ___जीवाभिगमसूत्रे जलान्तः प्रतिबिम्बितानामावलिः-पंक्तिरिति चन्द्रावलिः । 'सारदीय बलाहएइ वा' शारदीय बलाहक इति वा, शारदीयः-शरत्कालसम्बन्धी बलाहको मेघ इति शारदीय बलाहक इति, 'धंतधोयरुप्प पट्टेइ वाध्मातधौतरूप्यपट्टइति वा, ध्मातः -अग्निसर्केण निर्मलीकृतो धौतो भूमिखरण्डित हस्तसंमार्जनेन निशितीकृती यो रुप्यपट्टो रजतपत्रम् सध्मातधौतरूप्यपट्टः । अथवा ध्मातेन- अग्निसंयोगेन यो धौतः-शोधितो रूप्यपट्टः। 'सालिपिट्ठरासीति वा शालिपिष्टराशिरिति वा, शालीनां तण्डुलानां पिष्टुं क्षोदस्तस्य राशिः पुञ्ज इति वा, शालिपिष्टराशिरिति । 'कुंदपुप्फरासाति वा, कुंदपुष्पराशिरिति वा, कुन्दपुष्पं लोकमसिद्धं तस्य राशि:समुदाय इति कुंदपुष्पराशिरिति 'कुमुयरासीति वा' कुमुदराशिरिति वा, कुमुदानां -चन्द्रविका शि कमलानां राशिरिति कुमुदराशिरिति 'सुक्कछिवाडीति वा' शुष्कछिवाडी इति वा, छेवाडी नाम वल्लादि फलिका सा च क्वचिद्देशविशेषे शुष्का सती शुक्ला भवति इति तदुपादानम् । पेहुण मिजाति वा' पेहुण मिंजेति वा की पंक्ति जैसी सफेद होती है। 'सारदीयबलाहएइ वा' शारदीय शरत्काल सम्बन्धी-बलाहक-मेघ जैसा घवल होता है 'धंतधोयरुप्प पट्टेइ वा' घ्मात अग्नि के संपर्क से निर्मल किया गया पश्चात्-धौत राख आदि से मांजकर और हाथ आदि से साफकर निर्मल किया गया रजत पट्ट जैसा सफेद होता है 'सालिपिढरामीति वा' चावल की चूर्ण राशि जैसी सफेद होती है 'कुंद पुप्फरामीति वा' कुंद पुष्पराशि जैसी सफेद होती है 'कुमुयरामीति वा' कुमुद श्वेतकमल की राशि जैसी सफेद होती है 'सुक्कछिवाडीति वा' सेमकी फली का नाम छिवाडी है यह सुख जाने पर सफेद हो जाती है अतः शुष्कछिवाडी के जैसी सफेद होती है पेहुणमिजाति वा पेहुण-मयूर पीच्छ के मध्यवर्ती मिञ्जा जैसी अतीवधवल होती है 'बिसेति वा' बिस मृगाल जैसा स३४ हाय छ, 'सारदीयबलाहए तिवा' १२ जना मसा मेघ । स३४ छ, धंत धोयरुप्पएइवा' भात मतिना योगथा निर्भ ४२वामा आवद भने તે પછી રાખ વિગેરેથી મ જને હાથ વિગેરેથી સાફ કરી નિર્મળ બનાવેલ यही २ स३६ हाय छ, 'सालिपिरासीतिवा' यामाना सोट को स३४ होय छ, 'कुंद पुष्फरासीतिवा' ६६ पु०पने। सभू । स३४ हाय छे. 'सक्कछिवाडी तिवा' सेभनी सीन छिपाही हे छ त य त्यारे स थ य छ तेथी सुजय छिवाडी वी स३६ हाय छे 'पेहुण मिंजा इवा' पहुए मारना पीछानी मध्यमा २४ भिंon वी स३६ हाय छ, 'बोसेइवा' मिस भृया २ स३४ हाय छ, 'मिणालिएतिवा' भृणालि જીવાભિગમસૂત્ર
SR No.006344
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages918
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size46 MB
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